राज्य की पेयजल व सिंचाई योजनाओं को लेकर हाल ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नीति आयोग की बैठक में मुद्दा उठाया और फिर केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी इनके बारे में बात की। एक सप्ताह बीतने के बाद भी स्थिति में तो अभी सुधार नहीं आया है, लेकिन सोमवार को राज्यसभा में राजस्थान के दो सांसदों ने प्रदेश की केन्द्र के पास अटकी योजनाओं की जानकारी ली। इसमें केन्द्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री के जवाब देखे जाएं तो दोनों सांसदों को एक जैसे सवालों पर मिले जवाब भी अलग—अलग हैं।
तो मिले पानी :
प्रदेश के लम्बित मुद्दों को लेकर सांसदों के लिए तैयार दस्तावेज में कहा है कि केन्द्र सरकार के पास राजस्थान से जुड़े 69 मुद्दे लम्बित हैं, जिनमें से 20 का पानी से सीधा संबंध है। केन्द्र के पास लम्बित मुद्दों में पंजाब से पूरा नहीं मिलने का विवाद शामिल है, तो पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना, ब्राह्मणी नदी को बीसल पुर से जोडऩे और यमुना नहर के पानी में हिस्सा दिलाने जैसे पानी से जुड़े कई विषय भी इस सूची में हैं।
पानी पर पुरजोर हो आवाज…
राजस्थान में विधानसभा सत्र चल रहा है। 10 जुलाई को बजट ( rajasthan budget ) भी पेश ( Rajasthan Budget 2019 date ) होना है। जनता की ओर से चुने गए प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे जब सदन में जाएं, उनके सवालों की फेहरिश्त में भी पहले पन्ने पर ‘पानी की परेशानी’ हो। जागरूकता अपनी जगह है, सरकारी तन्त्र को ठोस और कठोर नीतिगत फैसले भी लेने होंगे। यह तब ही सम्भव होगा, जब जनता के प्रतिनिधि पुरजोर तरीके से सदन में आवाज उठाएंगे।
25,111 करोड़ की चाहिए सहायता:
राज्य सरकार की ओर से तैयार दस्तावेज के अनुसार बीसलपुर बांध से ब्राह्मणी नदी से जोडऩे, पूर्व राजस्थान नहर परियोजना, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना व नर्मदा नहर पर आधारित पेयजल परियोजनाओं के लिए केन्द्र सरकार से 25 हजार 111 करोड़ रुपए की विशेष सहायता की मांग है।
इनके लिए भी मांगा था सहयोग:
मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों केन्द्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया था कि झुंझुनूं व बाड़मेर जिले के 921 गांव व 563 ढाणियों की योजनाओं के लिए भी केन्द्रीय सहयोग मांगा था।
भाजपा सांसद डूडी को जवाब मिला :
राज्यसभा में भाजपा के रामनारायण डूडी ने जानकारी मांगी तो केन्द्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री ने पेयजल के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कोई प्रस्ताव लम्बित नहीं होने की जानकारी दी।
इधर, भाजपा सांसद को मिला जवाब :
राज्यसभा में भाजपा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा को जवाब मिला कि जल आयोग में 23965 करोड़ लागत वाली चूरू-झुंझुनू जिलों में ताजे वाला हैडवर्क पर यमुना जल की हिस्सेदारी पर डीपीआर मिली है।
..तो छह जिलों को होगा फायदा :
ब्राह्मणी को बीसलपुर से जोडऩे से इस नदी में पानी नहीं होने पर राणा प्रताप सागर व जवाहरसागर बांध से पानी लिया जा सकेगा। इससे जयपुर, अजमेर, टोंक व नागौर के कुछ इलाकों को पानी मिल सकेगा। इसमें बाह्य वित्तीय मदद के लिए राज्य ने पेयजल-स्वच्छता मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था। झुंझुनूं व बाड़मेर के लिए इन्दिरा नहर व नर्मदा नहर आधारित 5 पेयजल परियोजनाओं में सहयोग मांगा गया था।
13 जिलों को मिल सकेगा पानी
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ( solution for water scarcity in rajasthan ) से झालावाड़, कोटा, बूंदी, बारां, सवाई माधोपुर, टोंक, अजमेर, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा व धौलपुर को पेयजल व सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। इसकी लागत 37 हजार 247 करोड़ रुपए होगी, जिसमें से 17,038 करोड़ रुपए केवल पेयजल के लिए जरूरी हैं। 6 दिसम्बर 17 को परियोजना को बाह्य वित्तीय सहायता के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जा चुका है।