पानी:
– बोरवैल की खुदाई के लिए खुली छूट दे दी है, उसे रोका जाए ताकि अतिदोहन रुक सके।
– ईस्टर्न कैनाल जैसी परियोजनाओं पर राजनीति नहीं हो और सभी दल मिलकर इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाएं।
-प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकानों और नए बनने वाले सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग ढांचा अनिवार्य किया जाए, चाहे उसका आकार कितना ही हो।
– मनरेगा में वाटर हार्वेस्टिंग के कार्य भी कराए जाएं।
शिक्षा:
– निजी संस्थानों को उनके खर्चों के आधार पर फीस तय करने की छूट दी जाए, लेकिन मुनाफा न कमाएं। इसके लिए मैकेनिज्म विकसित करने की छूट दी जाए।
– डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए और इसके लिए सतत शिक्षा की तरह कार्यक्रम शुरू हो। इससे साइबर अपराधों में भी कमी आएगी।
– कॉलेजों में व्यावसायिक शिक्षा भी शुरू की जाए और उनको स्किल यूनिवर्सिटी से जोड़ा जाए।
– आइटी में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यूनिवर्सिटी स्थापित की जाए
– राज्य में भी केन्द्रीय विद्यालयों की तरह कर्मचारियों के लिए स्कूल विकसित किए जाएं
राजस्व ( आय):
– सरकार खर्चों में कमी लाने के लिए समीक्षा का मैकेनिज्म विकसित करे, जिसमें वित्त के स्वतंत्र विशेषज्ञों को जोड़ा जाए।
– खनिज के मामले में प्रदेश छत्तीसगढ़ व झारखंड से पीछे नहीं है, राज्य सरकार सभी पक्षों से चर्चा कर इस क्षेत्र के विकास की नीति बनाए। इससे राजस्व का स्थाई स्रोत मिल जाएगा।
– राजस्व की चोरी रोकी जाए, जीएसटी चोरी के कई बड़े मामले हाल ही सामने आए हैं उन पर सख्ती दिखाई जाए।
– पीपीपी मॉडल को पुख्ता बनाकर बढ़ावा दिया जाए, जिससे सरकार पर कर्ज का बोझ बढऩे से रुके और लोगों के लिए सुविधाओं का विस्तार हो।
– मनरेगा में मजदूरी की दर बढ़ाई जाए, जिससे लोगों को अधिक पैसा मिलेगा तो खर्च बढऩे से राजस्व भी आएगा।
कृषि व किसान:
– वन अधिकार कानून का दायरा बढ़ाकर सामुदायिक वन अधिकार सुविधा शुरू की जाए, जिससे वहां रहने वालों को वनों की रक्षा और उनके विकास का जिम्मा मिल सकेगा।
– कृषि के लिए आबादी के अनुपात में बजट दिया जाए, जिससे कृषि के विकास और उससे संबंधित शोध के लिए अधिक पैसा मिल सकेगा।
– किसानों को उनकी उपज की लागत से अधिक मूल्य दिलाने का प्रावधान किया जाए
– गांवों में हुनरमंदों की उपेक्षा नहीं हो, इसके लिए व्यवस्था की जाए
– फसल गिरवी रखकर कर्ज लेने की व्यवस्था, लेकिन लोगों में इसके बारे में जागरुकता ही नहीं है।
– सिंचाई सुविधा के विस्तार के लिए नहरी पानी की पहुंच बढ़ाई जाए, इससे किसानों को पानी सस्ता मिल सकेगा।
उद्योग व कारोबार:
– रात्रिकालीन बाजार को बढ़ावा दिया जाए
– नए उद्योग के लिए अनुमति की प्रक्रिया आसान की जाए
– हर निकाय के पास जमीन बैंक हो, ताकि उद्योगों के लिए जगह चिन्हित करना मुश्किल नहीं हो
– कम पानी का उपयोग करने वाले या रिसाइकल करके पानी का उपयोग करने वाले उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए
– ग्रामीण क्षेत्र में कृषि से संबंधित उद्योग लगाना आसान किया जाए
– जहां बिजली नहीं हो, वहां उद्योगों को सौर उर्जा के लिए प्रेरित किया जाए
डिजिटल गवर्नेंस:
– सरकारी सुविधाओं का डिजिटलाइजेशन किया जाए
– हर व्यक्ति के पास मोबाइल पहुंच गया है, इस पर सरकारी सुविधाओं की अधिक से अधिक उपलब्धता हो
– ई-मित्र पर सुविधाओं की संख्या बढ़ाई जाए और शुल्क घटाया जाए
– ऑनलाइन आने वाली शिकायतों के निस्तारण की मॉनिटरिंग में सुधार किया जाए।
स्वास्थ्य:
-हृदय, नेत्र और मेटाबॉलिज्म के नियमित परीक्षण की सुविधा सरकारी अस्पतालों में शुरू हो, ताकि लोगों को रोगों से बचाया जा सके और अस्पतालों पर भार कम हो।
– अस्पतालों में खाली पदों को भरा जाए और टीकाकरण को बेहतर बनाया जाए
– क्रिटिकल केयर के विस्तार पर जोर दिया जाए, ताकि लोगों को नजदीक ही आइसीयू की सुविधा मिल सके और मृत्यु दर कम की जा सके।
– जयपुर की तरह ही हर संभाग मुख्यालय पर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए रीजनल सेंटर बने, जिससे लोगों का रोगों पर खर्चा घटेगा।
– छोटी जगहों पर नमूने लिए जाएं, लेकिन परीक्षण के लिए सेंटरलाइज सुविधा की जाए।
– टेली कंसल्टेशन सुविधा शुरू हो, ताकि रिमोट क्षेत्र में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।
– राइट टू हेल्थ का कानून जल्दी लागू किया जाए।
रोजगार:
– शिक्षा में हुनर को बढ़ावा देने वाले पाठ्यक्रमों का भी समावेश हो, ताकि रोजगार आसान हो।
– मनरेगा में भी निर्माण कार्य पर एक प्रतिशत राशि श्रमिक कल्याण कोष में जमा हो, इससे असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ सकेगा।
– स्ट्रीट वेंडरों को अधिक लाइसेंस दिए जाएं और वेंडिंग जोन तय किए जाएं, इससे राजस्व के साथ रोजगार भी बढ़ेगा
भ्रष्टाचार व अपराध:
– पारदर्शिता के लिए बजट बढाया जाए, जिससे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होगा
– जवाबदेही के लिए कानून लागू किया जाए
– पुलिस के व्यवहार में सुधार के लिए भर्ती के समय प्रशिक्षण पर जोर दिया जाए
– पुलिसकर्मियों के उनके आचरण के अंक भी वार्षिक मूल्यांकन में जोड़ जाएं।