बता दें कि उपचुनाव को लेकर जहां भाजपा ने अपनी तगड़ी रणनीति बनाई थी, वहीं कांग्रेस ने भी सभी मोर्चे पर अपनी पकड़ बनाए रखी। जिसका नतीजा उपचुनाव भाजपा के बड़े और स्टार प्रचारक भी हार को टाल नहीं सकें। जबकि इस जीत के बाद जहां भाजपा मुख्यालय में सन्नाटा पसर गया है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस मुख्यालय में कार्यकर्ताओं ने नाज-गाकर और आतिशबाजी कर अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं। गौरतलब है कि राजस्थान उपचुनाव को लेकर दोनों प्रमुख पार्टियों ने तमाम जिम्मेदारियों को जिन नेताओं को सौंपी थी, अब वहीं जहां कांग्रेस में इन नेताओं का कद बढ़ सकता है, तो भाजपा के इन नेताओं को नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इन तीनों सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के किन नेताओं को मिली थी अहम जिम्मेदारी…
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इन नेताओं की प्रतिष्ठा थी दाव पर- अजमेर लोकसभा क्षेत्र- (पुष्कर, किशनगढ़, केकड़ी, मसूदा, अजमेर दक्षिण, अजमेर उत्तर, दूदू, नसीराबाद) कांग्रेस के नेता- पूर्व प्रदेशाध्यक्ष बी.डी.कल्ला, दीपेन्द्र शेखावत, पूर्व मंत्री भंवरलाल, पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया, पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी, पूर्व मंत्री अशेक बैरवा, पूर्व विधायक मुरारीलाल मीणा व सचेतक गोविंद सिंह। भाजपा के दिग्गज- मंत्री अनिता भदेल, किरण माहेश्वरी, वासुदेव देवनानी, राजकुमार रिणवा, अजय किलक, प्रेमचंद बैरवा, भाजपा सचेतक कालूलाल गुर्जर, मंत्री यूनुस खान, कालीचरण सराफ, राजेन्द्र राठौड़, उपमुख्य सचेतक मदन राठौड़।
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अलवर में ये जुटे थे उपचुनाव में- अलवर लोकसभा क्षेत्र- (तिजारा, किशनगढ़बास, मुंडावर, रामगढ़, अलवर ग्रामीण, अलवर शहर, बहरोड़ तथा राजगढ़-लक्ष्मणगढ़) कांग्रेस के नेता- पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालचंद कटारिया, पूर्व विधायक भगवान सहाय, विधायक राजेन्द्र यादव, पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, पूर्व विधायक रमेश खण्डेलवाल, पूर्व मंत्री भरोसीलाल, पूर्व मंत्री जितेन्द्र सिंह, विधायक विजेन्द्र ओला, पूर्व मंत्री महादेव सिंह।
भाजपा के नेता- मंत्री हेमसिंह भड़ाना, रामप्रताप, रामहेत यादव, वन मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, खान मंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी, मंत्री सुरेन्द्र गोयल, राजपाल सिंह शेखावत, बाबूलाल वर्मा, रोहितश्व यादव, विधायक धर्मापाल चौधरी, ज्ञानदेव आहूजा, जयराम जाटव, बनवारी लाल सिंघल।
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