सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव में इकलौती विधानसभा सीट झुंझुनूं है जिस पर पिछले चार चुनाव से लगातार बृजेन्द्र ओला जीत रहे हैं और कांग्रेस से एलएमए बन रहे हैं।
उप चुनाव की दूसरी सीट दौसा विधानसभा सीट के बारे में बात की जाए तो 2008 में मुरारी लाल मीणा ने चुनाव जीता था। वे बीएसपी से लड़े थे। उसके बाद 2013 में बीजेपी के शंकर लाल शर्मा विजयी रहे। फिर 2018 और 2023 का चुनाव मुरारी लाल मीणा कांग्रेस से जीते।
टोंक की देवली उनियारा सीट पर कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है। साल 2008 में कांग्रेस से राम नारायण मीणा जीते। उसके बाद 2013 में बीजेपी के राजेन्द्र गुर्जर ने जीत दर्ज की। उसके बाद दो चुनाव 2018 और 2023 में कांग्रेस के हरीश चंद्र मीना विधायक चुने गए।
नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर होने वाले चुनाव में हनुमान बेनीवाल का धूम धड़ाका जारी रहा है। वे लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। कभी निर्दलीय तो कभी पार्टी के सिंबल पर लड़कर। बेनीवाल ने 2008 का चुनाव बीजेपी से लड़ा और जीते। उसके बाद 2013 में निर्दलीय जीत गए। फिर 2018 और 2023 के चुनाव में आरएलपी पार्टी से चुनाव जीते।
बात उदयपुर जिले के नजदीक सलूंबर विधानसभा सीट की…। पिछले चार चुनाव में बीजेपी यहां हावी रही है। 2008 में हुए चुनाव में यहां से कांग्रेस के रघुवीर सिंह ने चुनाव जीता। उसके बाद सत्ता की चाबी भाजपा के अमृत लाल मीणा ने छीन ली। 2013, 2018 और 2023 के चुनाव में वे विजयी रहे।
अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर पिछले चार चुनाव की बात की जाए तो 2008 और 2013 का चुनाव भाजपा के ज्ञानदेव आहूजा जीते और उसके बाद 2018 का चुनाव साफिया जुबेर कांग्रेस से जीतीं। फिर अगला चुनाव 2023 में कांग्रेस के जुबेर खान ने अपने नाम किया।
उधर डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी… दोनो ही प्रमुख पार्टियों का दबदबा स्थानीय नेताओं ने आधा कर दिया हैं। साल 2008 में कांग्रेस के शंकर लाल ने यहां जीत दर्ज की। अगले चुनाव 2013 में बीजेपी के सुशील कटारा जीत गए। उसके बाद 2018 में बीटीपी पार्टी से और 2023 में बीएपी पार्टी से राजकुमार रोत ने चुनाव जीते।