कांग्रेस में घमासान के बीच अब वे विधायक भी मुखर होकर मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं, जो बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इनमें लाखन मीणा के बाद अब वरिष्ठ विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि पिछले साल कांग्रेस के 19 विधायक और 3 निर्दलीयों के जाने के बाद हम बसपा से कांग्रेस में आए 6 और 10 निर्दलीय विधायकों ने सरकार का साथ दिया था। वरना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस्तीफा देना पड़ता और आज गहलोत सरकार की पहली पुण्यतिथि मन रही होती। कांग्रेस आलाकमान और राज्य प्रभारी अजय माकन को समझना चाहिए कि वफादारी और गैरवफादारी क्या होती है। ढाई साल से ज्यादा समय निकल चुका है। हमारे वाले सभी दुखी हैं। गौरतलब है कि गुढ़ा पहले भी दो बार नाराजगी जता चुके हैं।
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए संदीप यादव ने भी कहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां अब शीघ्र होनी चाहिए। गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में भी समर्थन करने वाले बसपा विधायकों को सरकार में भागीदारी दी थी। इस बार भी उम्मीद है लेकिन सरकार को ढाई साल तो बीत चुके हैं। इस बारे में गहलोत से बात भी करेंगे।
सुभाष गर्ग और वेदप्रकाश सोलंकी के बीच शायराना जंग
तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने एक दिन पहले शायराना अन्दाज में ट्वीट कर पायलट समर्थक विधायकों पर निशाना साधा। गर्ग ने ट्वीट किया, ये मौसम ही है ऐसा, परिन्दे आतुर हैं घोंसला बदलने के लिए। इस पर अब पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने उसी अन्दाज में पलटवार किया है। सोलंकी ने ट्वीट किया, कुछ परिन्दे खुद का घोंसला कभी नहीं बनाते, वे दूसरों के बनाए घोंसलों पर कब्जा करते हैं। खुद का मतलब पूरा होते ही फिर उड़ जाते हैं। अगले सीजन में फिर किसी का घोंसला कब्जा लेते हैं। घना से भटके ये परिन्दे प्यास बुझाने के लिए कभी हैंडपम्प तो कभी पोखर में चोंच मारते नजर आते हैं। दूसरी ओर, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने गर्ग के ट्वीट को टैग कर लिखा, मुझे मालूम है उसका ठिकाना, फिर कहां होगा परिन्दा, आसमां छूने में जब नाकाम हो जाए।
इधर, सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने ट्वीट कर कांग्रेस आलाकमान को विधायकों के लिए चिन्तन शिविर लगाने की नसीहत दे दी। उन्होंने कहा कि घोर अनुशासनहीनता के कारण कांग्रेस को प्रदेश स्तरीय चिन्तन शिविर लगाना चाहिए। यह समझ तो बननी चाहिए कि हम महात्मा गांधी और पंडित नेहरू की विरासत के सेवक हैं।