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12वीं की छात्रा का सवाल: सरकार ने स्कूल में शौचालय तो बना दिया पर पानी क्यों नहीं दिया

locationजयपुरPublished: Sep 13, 2018 09:31:34 am

Submitted by:

santosh

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Rajasthan Ka Ran
जयपुर। प्रदेश में पहली बार सभी जिलों से आए बच्चे जयपुर में दो दिन जुटे। उन्होंने खुद का घोषणा पत्र तैयार किया बल्कि इसे जारी भी किया। यूनिसेफ व विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों की ओर से एक मंच पर एकत्रित करीब 15१५० बच्चों ने ज्योति नगर स्थित वर्धमान भवन में यह चर्चा की। स्कूल, घर, गांव, खेल सभी परेशानियां बच्चों ने एक-दूसरों को बतार्इं। इसके बाद आपसी सहमति से कुछ ऐसे मुद्दे तैयार किए, जो कि आगामी चुनाव में दलों के घोषणा पत्र का हिस्सा बने। संस्थाएं इन मुद्दों को राजनीतिक दलों को सौपेंगी, ताकि ये घोषणा पत्रों का हिस्सा बन सकें। इस दौरान बच्चों ने घोषणा पत्र बनाया।
असली वारिस हम
बच्चों ने बताया कि लोकतंत्र में भले ही 18 वर्ष से बड़े लोगों को वोट देने का अधिकार है। आज वोट नहीं दे सकते तो क्या हुआ। प्रदेश के असली वारिस हम ही हैं। देश ही बागडौर हम ही संभालेंगे। प्रदेश की आबादी का 40 फीसदी हिस्सा हम हैं।
हर माह करनी पड़ती है छुट्टी
सीकर जिले से आई 12वीं कक्षा की छात्रा सुनीता ने बताया कि स्कूल में शौचालय तो बना दिए हैं, लेकिन, वहां न तो पानी की सुविधा है और न ही कचरापात्र। माहवारी के दिनों में बड़ी परेशानी होती है।
शादी की उम्र बढ़ाई जाए
झुंझुनूं जिले से आई छात्रा सृष्टि ने कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 की जानी चाहिए। 18 साल की उम्र तक 12वीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाते हैं। 21 साल उम्र होगीतो ग्रेजुएशन भी कर पाएंगे। तब तक मानसिक विकास भी हो जाता है। बच्चियों की इस बड़ी मांग पर ध्यान दिया जाए।
उम्र अधिक तो भी 8वीं पढऩे का अधिकार
जयपुर जिले के छात्र कुश ने बताया कि सरकार ने आठवीं कक्षा के बच्चों के लिए 14 साल की उम्र निर्धारित कर रखी है। इसके बाद आठवीं कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाता। यह गलत है। कई बार बच्चे फेल होने या आर्थिक कारणों से बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं।
ये मांगें भी रखीं
– प्रत्येक गांव में 10-12 वीं तक का विद्यालय हो, ताकि बालिकाएं 8वीं के बाद भी पढ़ाई जारी रख सकें।
– गांव में खेल का मैदान हो। वहां खेल उपकरण व सिखाने के लिए शिक्षक हों।
– प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर महिला डाक्टर हो, ताकि बालिकाएं अपनी समस्याओं को उसके सामने रख सकें।
– विद्यालयों में काउंसलिंग रूम हो, जहां बालिकाएं महिला काउंसलर को परेशानी बता सकें।
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