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मुख्यमंत्री गहलोत के लिए तीन बड़े फैसले, क्या बदल सकेंगे निकाय चुनाव के समीकरण, जानें क्या हैं इनके मायने

locationजयपुरPublished: Oct 14, 2019 06:43:10 pm

केबिनेट बैठक में तीन बड़े निर्णय : अब सीधे नहीं होंगे निकाय अध्यक्ष के चुनाव, मीसा बंदियों की पेंशन व सुविधाएं बंद, टीएसपी की लडक़ी के अनुसूचित क्षेत्र (टीएसपी) के लडक़े से विवाह करने पर अब उसे टीएसपी में आरक्षण का लाभ

मुख्यमंत्री गहलोत के लिए तीन बड़े फैसले, क्या बदल सकेंगे निकाय चुनाव के समीकरण, जानें क्या हैं इनके मायने

मुख्यमंत्री गहलोत के लिए तीन बड़े फैसले, क्या बदल सकेंगे निकाय चुनाव के समीकरण, जानें क्या हैं इनके मायने

शादाब अहमद / जयपुर. राज्य सरकार ( Rajasthan Government ) नगर निकाय अध्यक्ष का चुनाव सीधे करवाने के नौ महीने पुराने निर्णय से सोमवार को पीछे हट गई। अब प्रदेश में निकाय अध्यक्ष चुनाव अप्रत्यक्ष होंगे, यानी अध्यक्ष का चुनाव पहले की तरह पार्षद मिलकर करेंगे। राज्य केबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके साथ ही सरकार ने मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं को वापस ले लिया है। उधर, गैर टीएसपी की लडक़ी के अनुसूचित क्षेत्र (टीएसपी) के लडक़े से विवाह करने पर अब उसे टीएसपी में आरक्षण का लाभ देने का निर्णय किया है।
कांग्रेस ( Congress ) और सरकार में निकाय अध्यक्ष चुनाव की प्रणाली को लेकर कश्मकश चल रही थी। सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( CM Ashok Gehlot ) की अध्यक्षता में हुई केबिनेट बैठक में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ( Shanti Dhariwal ) ने इसको लेकर रिपोर्ट रखी और मंत्रियों से राय की। इसके बाद केबिनेट ने निकाय अध्यक्ष चुनाव सीधे नहीं करवाने का निर्णय वापस ले लिया। वहीं आपातकाल के समय जेलों में बंद रहे लोगों को मिले लोकतंत्र प्रहरी का दर्जा समेत उनकी पेंशन, मेडिकल समेत अन्य सुविधाओं को वापस लेने का निर्णय किया गया।
यह है आरक्षण का प्रावधान
टीएसपी में राज्य सेवाओं को छोडकर अन्य सभी राजकीय सेवाओं के पदों पर सीधी भर्ती से भरी जाने वाली रिक्तियों की 45 प्रतिशत रिक्तियां टीएसपी के एसटी, 5 प्रतिशत रिक्तियां एससी व 50 प्रतिशत रिक्तियां अनारक्षित पद मानते हुए टीएसपी के अभ्यर्थियों की योग्यता के आधार पर वरीयता क्रम में नियमानुसार चयन किया जाता है।
-सरकार के तीन प्रमुख फैसलों का असर और मायने
1. पार्षद चुनेंगे निकाय अध्यक्ष
असर: 52 निकायों में नवंबर में चुनाव प्रस्तावित है। सीधे चुनाव की घोषणा के चलते महापौर ( Mayor ), सभापति और अध्यक्ष के दावेदार टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे थे। अब ऐसे दावेदारों को स्वयं के लिए वार्ड तलाशने के साथ समर्थकों को टिकट दिलवाने की दौड़-भाग करनी होगी।

मायने: लोकसभा चुनाव ( Loksabha Election ) में मिली करारी हार से उबरने की कांग्रेस की कोशिश। वार्डों के छोटा होने से धारा 370 ( Article 370 ), पाकिस्तान ( Pakistan ) जैसे राष्ट्रीय मुद्दों की जगह स्थानीय मुद्दे हावी हो सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस में नजदीकी टक्कर देखने को मिलेगी।
2. मीसा बंदियों की पेंशन-सुविधा बंद
असर: करीब 4 हजार ऐसे बंदी है, जिन्हें 20 हजार रुपए मासिक पेंशन, 4000 रुपए मेडिकल समेत अन्य सुविधा मिल रही थी। इन्हें लोकतंत्र प्रहरी का दर्जा दिया गया था। अब सरकार ने दर्जा समेत सभी सुविधाओं से किया वंचित।

मायने: नगर निकाय और पंचायत चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस सरकार ( Congress Government ) ने साफ संदेश दिया कि वह आरएसएस ( RSS ) और भाजपा ( BJP ) के विचारधारा वाले निर्णयों को वापस लेगी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश।
3. टीएसपी जिलों के लिए बड़ा फैसला
असर: टीएसपी में शामिल बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, सिरोही, पाली, राजसमंद व चित्तौडगढ़़ जिलों के सामान्य, एसटी और एससी वर्ग की महिलाओं व युवतियों को लुभाने की कोशिश।
मायने: सियासी तौर पर निकाय चुनाव से पहले किया गया फैसला है। कांग्रेस निकाय चुनाव में सरकार के निर्णयों व कार्यों को मुद्दों बनाएगी।

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