कोरोना वायरस के प्रभाव के चलते सभी आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई है। ऐसे में गरीब और मजदूर वर्ग पर इसका सीधा असर दिख रहा है। इसके साथ ही पिछले दिनों कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान हो गया है।
इन सब बातों के चलते राज्यों ने अब केन्द्र का मुंह ताकना शुरू कर दिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री केप्टन अमरिन्दर सिंह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो दिन पहले पत्र भेजे हैं। गहलोत ने अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी इस तरह के पत्र भेजने का आग्रह किया है।
गहलोत के पत्र की बड़ी बातें – केंद्र सभी राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपए का अनुदान दें
– आरबीआइ से राज्यों की कर्ज लेने की सीमा में 2 फीसदी तक इजाफा करें
– राज्य की शक्तियां सीमित, केन्द्र मौद्रिक, राजकोषीय और ऋण नीतियों का उपयोग कर पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए
– केन्द्र कम दर पर ऋण लेकर राज्यों को अग्रिम उधार उपलब्ध करवाएं
कैप्टन अमरिंदर की प्रमुख मांग – जीएसटी मुआवजे का 2088 करोड़ रुपए बकाया दिया जाए
– वाणिज्यिक बैंकों के औद्योगिक और कृषि ऋणों की किस्तों को स्थगित किया जाए
– मनरेगा राज्य में लगभग 1.30 लाख श्रमिकों की बकाया मजदूरी के 84 करोड़ रुपए दिए जाए
बघेल ने रखी तीन मांग – मनरेगा व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को अगले तीन महीने तक एक हजार रुपए प्रतिमाह उनके खातों में डाले जाए
– सभी जनधन खातों के जीरो बैलेंस व अप्रचलित खातों में 750 रुपए हर माह डाले जाए
– संगठित क्षेत्र के सभी कामगार, जिनका वेतन 15 हजार रुपए प्रति माह से कम है, उनके पीएफ की सौ फीसदी राशि अगले तीन महीने तक सरकार वहन करें।