scriptकांग्रेस-बसपा विलय खत्म हुआ तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं! | Rajasthan congress and bsp merger in Rajasthan | Patrika News

कांग्रेस-बसपा विलय खत्म हुआ तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं!

locationजयपुरPublished: Aug 08, 2020 03:21:47 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

राज्य में सत्ता और संग्राम को लेकर चल रही सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस-बसपा विलय को लेकर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। कांग्रेस में बसपा के विलय को लेकर न्यायालय में भी चुनौती दी जा चुकी है।

Rajasthan congress and bsp merger in Rajasthan

राज्य में सत्ता और संग्राम को लेकर चल रही सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस-बसपा विलय को लेकर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। कांग्रेस में बसपा के विलय को लेकर न्यायालय में भी चुनौती दी जा चुकी है।

जयपुर। राज्य में सत्ता और संग्राम को लेकर चल रही सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस-बसपा विलय को लेकर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। कांग्रेस में बसपा के विलय को लेकर न्यायालय में भी चुनौती दी जा चुकी है। लेकिन जानकारों की मानें तो बसपा और कांग्रेस के विलय को खत्म कर दिया जाता है, तो भी संभवत: अशोक गहलोत सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन न्यायालय में बसपा विधायकों के वोटिंग अधिकार सीज कर दिए, तो जरूर सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है।
कांग्रेस की गुटबाजी के बीच भाजपा शुरुआत से ही सक्रिय नजर आ रही है। कुछ दिनों से बसपा ने भी ताल ठोक दी है। बसपा ने विधायकों के विलय को अवैध करार देने को लेकर हाइकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक जाने की चेतावनी दे चुकी हैं। इसी वजह से बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय का मामला बड़ा मुद्दा बना हुआ है। हाइकोर्ट में बसपा के साथ भाजपा ने भी याचिका दायर कर विलय को गलत बताया है। ऐसे में कांग्रेस-बसपा के विलय को लेकर प्रदेश की राजनीति में ज्यादा चर्चाएं चल रही हैं।

विलय खत्म होने पर इसलिए खतरा नहीं… :
विधि के जानकारों के मुताबिक न्यायालय कांग्रेस बसपा के विलय को अवैध करार देते हुए खत्म भी कर देता है तो भी गहलोत सरकार का बसपा विधायक साथ दे सकेंगे। बड़ी बात यह है कि बसपा के सभी 6 विधायक गहलोत सरकार के साथ हैं। विलय खत्म होने पर बसपा विधायक दल का इन्हीं में से नेता और पार्टी का मुख्य सचेतक चुना जाएगा।
ऐसे में जो विधायक मुख्य सचेतक चुना जाएगा वो व्हिप कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग के लिए जारी कर दे, या फिर व्हिप जारी नहीं करे और वोट सभी कांग्रेस के पक्ष में करते हैं, तो भी इन विधायकों की विधायकी नहीं जाएगी। सिर्फ बसपा पार्टी लाइन से अलग चलने की वजह से इन्हें पार्टी से ही निकाल सकती है। क्योंकि व्हिप जारी करने का अधिकार विधायक दल के मुख्य सचेतक को ही है।
यह भी विकल्प…:
विलय को कोर्ट अवैध ठहराता है तो बसपा विधायक अलग दल बनाकर भी कांग्रेस को समर्थन कर सकते हैं।

वोटिंग अधिकार सीज किए तो बढ़ेगी गहलोत सरकार की मुश्किल…
कांग्रेस-बसपा विधायकों के मेल का एक पहलू यह भी है कि यदि कोर्ट विलय को अवैध बताते हुए वोटिंग अधिकार सीज कर दे। क्योंकि बसपा व भाजपा ने न्यायालय में वोटिंग अधिकार सीज किए जाने की भी मांग की है। ऐसे में यदि कोर्ट सभी बसपा विधायकों के वोटिंग अधिकार सीज करता है तो जरूर मुख्यमंत्री को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। फ्लोर टेस्ट की स्थिति बनने पर ये विधायक वोट नहीं दे सकेंगे।
विरोधी गतिविधि जारी रखी तो विधायकी जाएगी
कांग्रेस के साथ विलय खत्म होने के बाद भी पार्टी आलाकमान की विधायक बात नहीं मानेंगे और पार्टी विरोधी गतिविधि जारी रखते हैं, तो इनकी विधायकी जाएगी। आलाकमान ने व्हिप जारी कर कांग्रेस के पक्ष में वोट देने से पहले ही इनकार कर दिया है।
भगवान सिंह बाबा, प्रदेशाध्यक्ष बसपा
मुख्य सचेतक ही जारी कर सकता है व्हिप
सदन में फ्लोर टेस्ट की स्थिति बनने पर किसी भी पार्टी के विधायक दल के नेता के निर्देश पर उनका मुख्य सचेतक ही सिर्फ सदन में विधायकों के मौजूद रहने या वोटिंग को लेकर व्हिप जारी कर सकता है।
सत्येन्द्र सिंह राघव, एएजी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो