कड़वा घूंट मीठी जुबान राजनीति हो या कोई भी क्षेत्र, आज कल पोलिश्ड लोगों का जमाना है। कांग्रेस अधिवेशन को ही देख लो। कड़वे घूंट पीने के बावजूद सालाहकारों-नेताओं ने मीठी मीठी जुबान रखी। कांग्रेस व मुखिया की तारीफों के साथ शिकायतें भी शालीनता से कीं। शेखावाटी के एक नेताजी ने बाहर खुलकर बोला। कहा कि चुनाव के दिन भी घटते जा रहे हैं, नजरें अब पद के जगह टिकटों की ओर जो बढ़ती जा रही हैं।
टिकट की आस को धक्का हाल ही सेवानिवृत हुए और होने वाले अधिकारियों की टिकट की आस को थोड़ा धक्का लगा है। भाजपा का तो पता नहीं, लेकिन कांग्रेस के नताओं को वो अधिकारी खटकने लगे हैं, जो 2023 में टिकट के लिए लेफ्ट राइट करने को तैयार हैं। साथ ही रिटायर होने के बाद सरकार के दिए पदों पर आसीन हैं। पिछले विस्तार में बने एक मंत्री ने खड़ी भाषा में बोल दिया कि जब ये कुर्सी पर बैठे होते हैं तब जनसेवा की भावना कहां चली जाती है।
बैकफुट पर आने का राज क्या प्रदेश की नौकरशाही की कमान मैडम ने संभाली तो उनकी बोल्डनेस की चर्चा बडे सहाबों के कमरों में खूब हुई। सचिवालय में हाल ही में हुए डीपीसी विवाद में उन्होंने अपनी बोल्डनेस भी दिखाई, लेकिन चार-पांच घंटे बाद वे बैकफुट पर आ गईं। अब चर्चा है कि आखिर ऐसा कौनसा दबाव था जिससे मैडम को तुरंत ही बैकफुट पर आना पड़ा। जब एक बडे साहब के कमरे में चर्चाएं शुरू हुई तो अक्सर शांत रह कर सुर्रा छोडने वाले साहब बोल पड़े, अरे भई बोल्डनेस अपनी जगह है, राज अपनी जगह। राज से पंगा मतलब बाइपास सिस्टम शुरू। अब साफ है कि मैडम की बोल्डनेस हर जगह नहीं चल पाएगी।