दरअसल इस अप्रत्याशित चयन के पीछे दो केबिनेट मंत्रियों की बड़ी भूमिका रही है। इन दो में से एक केबिनेट मंत्री प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे के बेहद करीबी है और पांडे के जरिए ही डोटासरा के नाम पर आलाकमान की मंजूरी ले आए, जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पसंद मुख्य सचेतक महेश जोशी और केबिनेट मंत्री हरीश चौधरी थे। माना जा रहा था कि इन दोनों में से ही कोई अध्यक्ष होगा।
महेश जोशी की राह में बने बाधा-
सूत्रों की मानें तो मंगलवार सुबह ब्राह्मण चेहरे के रूप में महेश जोशी और जाट चेहर के रूप में हरीश चौधरी के नाम की चर्चा चली थी। लेकिन दो केबिनेट मंत्री जिनकी महेश जोशी से लंबी अदावत है। नहीं चाहते थे कि महेश जोशी अध्यक्ष बनें। इसी के चलते प्रदेश प्रभारी को फीडबैक दिया गया है।
वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के शेखावाटी से होने के चलते गोविंद सिंह डोटासरा के नाम को आगे बढ़ाया गया है और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे के जरिए डोटासरा के नाम पर मुहर लगवाने में कामयाब हो गए, जबकि राहुल गांधी के बेहद करीबी लोगों में शुमार हरीश चौधरी को ये तर्क देते हुए रोका गया है कि मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष एक संभाग से होंगे तो गलत मैसेज जाएगा।