लोकसभा चुनाव (
Loksabha Election ) में सभी 25 सीटों पर हार से कांग्रेस कार्यकर्ता असहज महसूस कर रहे हैं। हालात ये हैं कि बड़े नेताओं ने हार को लेकर परस्पर आरोप प्रत्यारोप तक लगाने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में पार्टी में उपजी अंदरूनी कलह को दूर करने के लिए अब प्रदेश पदाधिकारियों के साथ ही जिलों में बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। पार्टी में तीन दर्जन से ज्यादा बड़े पदाधिकारी ऐसे हैं, जो विधायक या अन्य पदों पर सत्ता में भागीदारी पा चुके हैं। ऐसे पदाधिकारियों को अब संगठन से मुक्त किया जा सकता है। विधानसभा चुनाव के बाद भी यह मांग उठी थी। अब लोकसभा चुनाव के बाद स्वर तेज हो गए हैं। ऐसे में प्रदेश संगठन ने जमीनी कार्यकर्ता में जोश भरने के लिए यह कदम उठाने का निर्णय किया है।
26 पदाधिकारी बने मंत्री-विधायक कांग्रेस के छह प्रदेश उपाध्यक्ष ऐसे हैं जो गहलोत सरकार में मंत्री हैं। इनमें रघु शर्मा (
raghu sharma ), प्रमोद जैन भाया, विश्वेन्द्र सिंह, भंवरलाल मेघवाल, उदयलाल आंजना, गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं। तीन उपाध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा, अशोक बैरवा और महेंद्रजीत सिंह मालवीया विधायक बन चुके हैं। दो महामंत्री में महेन्द्र चौधरी सरकारी उप मुख्य सचेतक हैं, वहीं मुरारीलाल मीणा विधायक हैं। प्रदेश के 9 सचिवों में से 8 विधायक और एक मंत्री पद पर आसीन हैं। अर्जुन बामणिया राज्यमंत्री बन गए हैं। वहीं जाहिदा खान, प्रशांत बैरवा, दानिश अबरार, अमीन कागजी, रोहित बोहरा, चेतन डूडी, कृष्णा पूनिया (
Krishna Poonia ) और इंद्राज गुर्जर विधायक हैं। सत्ता के भागीदारों की सूची में दो अग्रिम संगठनों के अध्यक्ष भी शामिल हैं। इनमें युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चांदना और सेवादल के प्रदेश संगठक राकेश पारीक विधायक बन गए हैं।
जिलाध्यक्ष भी सत्ता में भागीदार जिलाध्यक्ष भी सत्ता में भागीदार बन गए हैं। इनमें जयपुर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास (
pratap singh khachariyawas ), जयपुर देहात के राजेंद्र सिंह यादव और अलवर देहात के जिलाध्यक्ष टीकाराम जूली मंत्री हैं। वहीं झुंझुनूं जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह विधायक हैं।