सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने तय किया है कि अगर पार्टी की तीनों सीटों पर भी जीत होती है तो भी पार्टी मुख्यालय या संबंधित जिलों में किसी प्रकार का जश्न नहीं मनाया जाएगा। इस बारे में प्रत्याशियों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को भी निर्देश जारी किए गए हैं। कांग्रेस थिंक टैंक की ओर से यह फैसला कोरोना संकट के चलते लिया गया है।
प्रत्याशियों को सख्त निर्देश
विश्वस्त सूत्रों की माने तो प्रदेश नेतृत्व की तरफ से भी प्रत्याशियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अगर परिणाम उनके पक्ष में आता है तो वह भीड़ भाड़ से बचें और किसी भी प्रकार की रैली और जीत का जश्न नहीं मनाएं। साथ ही ऐसा कोई काम नहीं करें जिससे सरकार की ओर से जारी कोरोना गाइड लाइन और कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन हो।
तीनों सीटों पर जीत के प्रति आश्वस्त हैं कांग्रेस
दऱअसल तीनों सीटों सहाड़ा, राजसमंद और सुजानगढ़ उपचुनाव में प्रदेश कांग्रेस अपनी जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है। मतदान के बाद प्रदेश कांग्रेस की ओर से लिए गए जमीनी फीडबैक में भी नेताओं ने कांग्रेस की जीत के दावे किए हैं। सरकार से जुड़ी एजेंसियों के इनपुट में यहीं फीडबैक निकलकर सामने आया है।
सत्ता-संगठन की अग्नि परीक्षा
वहीं दूसरी ओर तीनों सीटों पर हुए उपचुनाव सत्ता और संगठन के लिए किसी अग्निपरीक्षा से भी कम नहीं है। दऱअसल तीनों ही उपचुनाव से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की साख दांव पर लगी हुई है। अगर तीनों ही सीटों पर कांग्रेस की जीत होती है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कद पार्टी में और बढ़ेगा।
वहीं अगर तीनों सीटों पर पार्टी की हार होती है तो फिर सत्ता और संगठन दोनों पर सवाल खड़े होने लगेंगे। मुख्यमंत्री गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के साथ ही तीनों उपचुनावों में चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभाल रहे चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना और उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी की साख भी दांव पर लगी है। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस ने सहाड़ा, और सुजानगढ़ में परिवारवाद पर ही दांव खेला है तो वहीं राजसमंद में नए चेहरे तनसुख बोहरा को मैदान में उतारा था।