बारिश में गीला होने या नहाने से बचें
सोशल डिस्टिेंसिंग बनाए रखें
सीलन वाले स्थान या जमा पानी से दूरी रखें
गीला मास्क मुंह पर नहीं लगाएं, सूखा मास्क ही पहनें
घर को स्वच्छ रखें, सेनेटाइज करें
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले
देसी उपाय भी किए जाने चाहिए
सर्दी, खांसी, जुकाम के लक्षण नजर आने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें
इस तरह खतरा बढ़ा सकती है बारिश
विशेषज्ञों के अनुसार बरसाती पानी के जमा होने, उससे नमी बढऩे से वायरस पहले की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहता है। विशेषज्ञों की मानें तो इस मौसम में वायरस करीब 10से 12 घंटे तक जीवित रह सकता है, जो कि गर्मी की तुलना में करीब 5 से 7 घंटे अधिक है।
इतना ही नहीं बारिश में भीगने से वायरल, सर्दी, जुकाम और बुखार से कम होने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कोरोना का असर बढ़ाने में सहायक हो सकती है। बारिश के कारण डॉक्टर भी सलाह दे रहे हैं कि इस मौसम में गीले होने से बचना बेहद आवश्यक है।
चिंता की बात यह भी है कि आने वाला समय अब डेंगू की बीमारी के लिहाज से भी घातक है। इंफ्लूएंजा, डेंगू और चिकनगुनिया के लिहाज से यही समय सर्वाधिक खतरे वाला होता है। बरसात होने में यदि अंतर रहता है तो उस दौरान जमा पानी नमी बढ़ाकर कोरोना फैलाने के साथ ही डेंगू का खतरा भी बढ़ाता है।
प्रदेश में मार्च माह से शुरू हुआ कोरोना का प्रकोप अब पूरे प्रदेश में फैल चुका है। अप्रेल के अंत तक जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर और टोंक सर्वाधिक प्रभावित पांच जिले थे, वहीं अब जुलाई माह के अंत में जोधपुर पहले नंबर पर है। जुलाई माह के अंत तक सर्वाधिक पांच जिलों में जोधपुर, जयपुर, अलवर, पाली और भरतपुर सर्वाधिक पांच जिलों में हैं।
अप्रेल—–जयपुर—–जोधपुर—–कोटा—-अजमेर—टोंक
संक्रमित—–907—–510—–197—–150—–134
मौत—–32———-7——-1——-0——-1
मृत्यु दर–3.52—–1.37—–0.50—–0—–0.74 मई—–जयपुर—–जोधपुर—–उदयपुर—–कोटा—–पाली
संक्रमित—1991—–1530—–552——–466—–465
मौत——-91——-19——–1——–16—–7
मृत्यु दर—4.57——-1.24—-0.18—–3.43—–1.50
जून—–जयपुर—–जोधपुर—–भरतपुर—–पाली—–उदयपुर
संक्रमित–3318—–2793—–1630—–1093——–703
मौत—–160—–49——–34——–9———-3
मृत्यु दर—4.82—1.75—–2.08—–0.82—–0.42
जुलाई—–जोधपुर—–जयपुर—–अलवर—–पाली—–भरतपुर
संक्रमित—6851—–5418—–3897—–2647—–2571
मौत—–83——–188—–16—–30———-53
मृत्यु दर–1.21—–3.46—–0.41—–1.13—–2.06
बारिश में भीगने से वायरस निमोनिया बढऩे की आशंका बढ़ जाती है। कफ का दाना अधिक समय तक वातावरण में रहने से कोविड मरीजों की कडिय़ां अधिक बढ़ जाती है।