21 मई 2011 को पीडि़ता के पिता ने फागी थाने में रिपोर्ट दी थी कि वह सुबह पत्नी के साथ मजदूरी पर गए थे। शाम को लौटे तो घर पर पुत्री व बकरा नहीं था। जानकारों के कहने पर वह थाने जा रहा था। पीछे से परिचितों ने कच्चे मकान के कमरे को खोलकर देखा तो बच्ची मृत पड़ी मिली। उसके गले पर सूतली बंधी हुई थी। बच्ची से बलात्कार, हत्या और चोरी की पुष्टि के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के बाद आरोपी घर से उनका एक बकरा एवं घी की कैन चुराकर ले गया था। जिसे गांव में कई लोगों ने देखा था। पुलिस ने बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया था।
कोर्ट ने कहा कि मृतका का सम्मान नहीं लाया जा सकता, लेकिन कायम रखने के लिए, सम्मान की रक्षा के लिए जरूरी है कि बर्बरता से किए गए अपराध के अपराधी को सख्त सजा से दंंडि़त करना न्यायालय का दायित्व है, जिससे अपराधियों में भय व्याप्त हो सकें। कोर्ट ने अभियुक्त को चोरी में सात वर्ष कठोर कारावास, 20 हजार रुपए, गृह अतिचार में 10 वर्ष कठोर कारावास, 1 लाख रुपए, बलात्कार में जीवन पर्यन्त आजीवन कठोर कारावास, दो लाख रुपए और हत्या में मृत्यु दंड एवं 5 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
पीडि़ता के घर से वारदात के बाद अभियुक्त बकरा एवं घी की केतली चुरा कर ले गया था। बकरा उसने बेच दिया था और केतली एक दुकान पर रख दी थी। जिसे वह वापस लेने नहीं आया था। गवाहों ने अपने बयानों में उसे इसके साथ देखा और अभियुक्त की निशानदेही पर दोनों चीजें बरामद भी हुईं। वहीं घटनास्थल और हत्या में प्रयुक्त सूतली पर मिले बाल से अभियुक्त का डीएनए मिल गया। इसके साथ ही अभियुक्त का पीडि़ता के साथ दो घंटे पहले देखे जाना भी सजा का आधार बना है।