विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने एक प्रेस संबोधन में कहा कि ताइवान की सत्तारुढ़ डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी के कुआन बि-लिंग की अगुवाई में तीन सांसदों का प्रतिनिधिमंडल गत सोमवार से भारत दौरे पर है। जिसके बाद चीन ने इस दौरे पर नाखुशी जाहिर करते हुए भारत के समक्ष अपना आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है।
गौरतलब है कि चीन हमेशा से यह इस बात का विरोध करता आ रहा है कि उसके साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देश ताइवान के साथ किसी प्रकार की कोई आधिकारिक वार्ता करें और उससे कोई आधिकारिक संबंध स्थापित करें। ताइवान को लेकर चीन का यह रुख बिल्कुल स्पष्ट रहा है।
तो वहीं इस मामले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ताइवान के सांसदों का यह दौरा अनौपचारिक था। मंत्रालय का कहना है कि इस तरह के गैर आधिकारिक समूह पहले भी व्यापार, धर्म और पर्यटन के उद्देश्य से भारत आते रहे हैं और चीन भी जाते रहे हैं। इसमें कुछ भी नया या अनोखा नहीं है और इस दौरे का कोई राजनीतिक अर्थ निकालना नहीं चाहिए।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सांसदों को कल ताइवान वापस लौटना है। भारत में यह प्रतिनिधि मंडल ताइवान की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी चाइना स्टील का भी दौरा करने वाली है। तो वहीं चीन अमरीका के राष्ट्रपति ट्रंप के ताइवान को समर्थन देने और चीन के विरोध में दिए गए बयान से अभी भी आशंकित नजर आ रहा है। क्योंकि चीन को इस बात के प्रति आशंका है कि कहीं अमरीका को देख कर दूसरे देश भी उसकी राह पर नहीं चल पड़ें।