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अडानी पॉवर से हारा राजस्थान डिस्कॉम, फिर बिजली बिल में आएगा करंट

locationजयपुरPublished: Sep 02, 2020 12:16:50 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

5200 करोड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट का Supreme फैसला

अडानी पॉवर से हारा राजस्थान डिस्कॉम, फिर बिजली बिल में आएगा करंट

अडानी पॉवर से हारा राजस्थान डिस्कॉम, फिर बिजली बिल में आएगा करंट

भवनेश गुप्ता

जयपुर। बिजली दर में बेतहाशा बढ़ोत्तरी के बाद डिस्कॉम्स और जनता दोनों को एक और झटका लगा हैै। अडानी पॉवर को कोयला भुगतान मामले में राजस्थान डिस्कॉम्स सुप्रीम कोर्ट में हार गया है। अडानी पॉवर को अनुबंध के तहत 5200 करोड़ मामले में निर्धारित बकाया राशि (क्षतिपूर्ति शुल्क) चुकानी होगी। हालांकि बकाया रोकड़ कितनी होगी, यह आदेश के अनुरूप होने वाली गणना के बाद ही साफ हो सकेगा। क्योंकि, डिस्कॉम्स को कैरिंग चार्ज में बड़ी राहत भी मिली है। कोर्ट ने 9 प्रतिशत तक ही कैरिंग चार्ज देने के लिए कहा है, जबकि अडानी पॉवर की पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत 15 प्रतिशत की मांग थी। ऊर्जा विभाग व निगम के आला अधिकारियों और विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यह बहुत बड़ी राहत है और इससे अब बकाया राशि का आंकड़ा बहुत कम हो जाएगा। उधर, इस आदेश के बाद ऊर्जा विभाग से लेकर राज्य सरकार तक में हलचल मची हुई है। विभाग इसका अध्ययन कर रहा है।
प्रशांत भूषण और कन्ज्यूमर फैडरेशन भी जुड़े
सुप्रीमे कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांंत भूषण और कन्ज्यूमर फैडरेशन ने भी इसी मामले में अपील की थी कि कोल आयात में ओवर बिलिंग की है और राजस्व आसूचना निदेशालय कई अन्य आयातकों की भी जांच कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निदेशालय ने अभी फैसला नहीं किया है, इसलिए विचार नहीं किया जा सकता।
2700 करोड़ रुपए का भार पहले से बिल में
इसी मामले में पहले अडानी पॉवर को अंतरिम राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डिस्कॉम्स को 50 फीसदी राशि देने के लिए आदेश दिए थे। यह राशि करीब 2700 करोड़ रुपए थी। डिस्कॉम्स इसका भार 1.20 करोड़ उपभोक्ताओं पर डाल चुका है। जयपुर, अजमेर व जोधपुर तीनों डिस्कॉम्स के उपभोक्ताओं से 36 माह तक 5 पैसे प्रति यूनिट गणना के आधार पर वसूली की जा रही है।
अब यह आशंका
गणना के बाद जितनी भी रोकड़ अडानी पॉवर को देंगे, उसका भार भी जनता पर ही आने की आशंका ज्यादा है। हालांकि, गेंद सरकार के पाले में होगी कि वह इस बड़े आर्थिक भार को खुद उठाए या फिर सरचार्ज के नाम पर जनता से वसूले।
नाकामी या मनमानी
-बिजली खरीद को लेकर किए गए अनुबंध दस्तावेज तैयार करने में कोई गड़बडी हुई या फिर उसे समझने में अफसर नाकाम रहे।
-ऊर्जा विकास निगम व डिस्कॉम्स के अफसर एग्रीमेंंट से जुड़े चेंज इन लॉ धारा की अपनी-अपनी व्याख्या करते रहे। इसे समझने में नाकामी तो नहीं।
-ऐसे जिम्मेदार अफसर, जिनके कारण ऐसे हालात बने है, उन पर एक्शन क्यों नहीं।
इस तरह चला मामला
-डिस्कॉम्स और अडानी पॉवर राजस्थान लि. के बीच अनुबंध हुआ। इसके तहत कंपनी ने कवई में 1320 मेगावॉट क्षमता का प्लांट लगाया। यहां 660-660 मेगावॉट की दो इकाईयां संचालित हैं। यहां बनने वाली बिजली केवल डिस्कॉम्स को ही सप्लाई की जाती है।
-संचालन के दौरान कोयल की कमी हुई तो कंपनी ने इंडोनेशिया से कोयला आयात किया। ऐसे में जो दर निविदा में अंकित थी और बाद में जब आयात किया गया, उसमें अंतर आया। कंपनी ने यही अंतर राशि चेंज इन लॉ धारा के तहत डिस्कॉम से मांगी।
-डिस्कॉम ने निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने का हवाला दिया। इस बीच कंपनी ने आरईआरसी का दरवाजा खटखटाया। आरईआरसी ने कंपनी के पक्ष में फैसला दिया।
-डिस्कॉम इसके खिलाफ एपिलिएट ट्रिब्यूनल पहुंचा। ट्रिब्यूनल ने निर्णय आने तक 70 प्रतिशत भुगतान करने के आदेश दिए।
-डिस्कॉम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने 50 प्रतिशत भुगतान के आदेश दिए। यह राशि करीब 2700 करोड़ रुपए है। इसमें मूल राशि 2288.40 करोड़ रुपए और ब्याज 420.96 करोड़ रुपए बना।
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