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राजस्थान@70: पुरानी पहचान कायम रखते हुए गढ़े नए आयाम

locationजयपुरPublished: Mar 30, 2019 10:44:42 am

Submitted by:

Mridula Sharma

राजस्थान दिवस विशेष: प्रदेश ने विकसित की नई पहचान

जयपुर. लम्बा रेगिस्तान, गांव-गलियां और खेत-खलिहान। भव्य किले, बड़ी हवेलियां। अनूठी कला-संस्कृति, अटूट परम्पराएं। अब तक यही पहचान रही है राजस्थान की। मगर अब… पुरानी पहचान तो कायम ही है, नई पहचान विकसित राजस्थान के रूप में बन रही है। ऐसा राजस्थान, जहां के कई शहर दुनिया की आंख के तारे हैं। देश-दुनिया की कई हस्तियां वैवाहिक समारोहों के लिए राजस्थान आ रही हैं। विकास की तीव्र दौड़ के बीच भी मूल पहचान बरकरार है। यहां की संस्कृति आज भी शहरों-गांवों की तंग गलियों में बसती है। यानी विकास और विरासत के संगम से राजस्थान दुनिया के नक्शे पर खुद को स्वर्णिम स्याही से उकेर रहा है।
सातों संभागों का अहम योगदान

जयपुर: हर कोई बसना चाहता है यहां

जयपुर के परकोटे में कभी तांगे चलते थे, आज शहर में मेट्रो ट्रेन दौड़ रही है। शहर के चारों तरफ फ्लाइओवर, ओवरब्रिज, पहाड़ को काटकर बनाई गई टनल, अंडरब्रिज का जाल विकास के नए सोपान की कहानी कह रहा है। सरकारी व निजी स्तर के आज 5 मेडिकल कॉलेज हैं। शहर इंजीनियरिंग, एमबीए, मेडिकल जैसी पढ़ाई का हब बन रहा है। देश-दुनिया से लोग यहां आकर बस रहे या पढ़ाई-नौकरी के लिए रह रहे हैं। राज्य में यह सर्वाधिक माइग्रेट आबादी वाला शहर है।
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जोधपुर: धोरों में तेल की धार
राज्य की सांस्कृतिक राजधानी जोधपुर में आज आइआइटी, एनएलयू, एम्स, आयुर्वेद विवि, एफडीडीआइ, एनआइएफटी, पुलिस और कृषि विवि जैसे उच्च शिक्षा के कई संस्थान हैं। पाली रोड शोध संस्थानों के साथ शोध का केंद्र है तो बाड़मेर रोड पेट्रो केमिकल हब बनने की ओर अग्रसर है। जयपुर रोड पर ऐसा फोरलेन हाइवे बन रहा है, जहां फाइटर प्लेन उतर सकेंगे। जोधपुर-बाड़मेर रोड पर 100 किमी दूर पचपदरा में रिफाइनरी के काम ने गति पकड़ ली है।
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बीकानेर: लहलहाया बीकाणा
बीकानेर चित्ताकर्षक पर्यटन स्थलों, बेजोड़ महलों, कलात्मक हवेलियों के लिए जगप्रसिद्ध है। यह मरुनगरी रसगुल्लों की मिठास, भुजिया की चरकास, अलबेले-अनूठे लोगों के लिए भी विख्यात है। गगनचुम्बी इमारतों से समृद्धि का अनुमान होता है। वहीं प्राचीन भवनों और हवेलियों से इसके विकास, समृद्ध कला और संस्कृति की झलक दिखती है। 1927 में जीवनदायिनी गंगनहर आई और इलाका सरसब्ज हुआ। धन-धान्य की उपलब्धता बढ़ी तो लोग बाहर से आकर यहां बसते गए।
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उदयपुर: दुनिया का तीसरा सबसे खूबसूरत शहर
मेवाड़ अपनी कला-संस्कृति, परम्पराओं, झीलों, मृदुल व्यवहार के चलते जगविख्यात है। कभी परकोटे तक सिमटा उदयपुर शहर अब दूर-दूर तक फैल चुका है। पर्यटकों के आकर्षण को देखकर ही कई समूहों ने यहां फाइव स्टार होटल बनाने शुरू किए। आज दुनिया के अव्वल होटल उदयपुर में हैं। विरासत को संजोने के साथ नए पर्यटन स्थल विकसित किए जा रहे हैं। रॉयल और डेस्टिनेशन वेडिंग्स में भी उदयपुर विश्व में पहचान बना चुका है। उदयपुर को दुनिया के तीसरे सबसे खूबसूरत शहर का दर्जा प्राप्त है। स्मार्ट व हाईटेक भी बन रहा है। पर्यटन के साथ औद्योगिक शहर भी कहलाने लगा है। कई बड़े विवि, आइआइएम के साथ शहर उच्च शिक्षा का हब बनने की ओर बढ़ रहा है।
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कोटा: औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान
चंबल किनारे बसे इस शहर में 1960 के बाद तेजी से उद्योग स्थापित हुए, इसे औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान मिली। कोटा को छोटा कानपुर कहा जाने लगा। इससे पहले कोटा गढ़, महल, संग्रहालय, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय रहा। यहां स्मारक प्राचीनता का बोध कराते हैं, वहीं हैंगिंग ब्रिज और सेवन वंडर्स पार्क आधुनिकता का आभास देता है।
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अजमेर: महानगर में हो रहा तब्दील
सर्वपंथ समभाव के लिए मशहूर अजमेर शहर अब पुष्कर, नसीराबाद, केकड़ी और किशनगढ़ की सीमाओं को छू चुका है। समय के साथ महानगर में बदल रहा और स्मार्ट सिटी बनने की तरफ कदम बढ़ा रहा है। स्मार्ट सिटी बनते अजमेर में गौरव पथ, जीसीए, लोहागल रोड, वैशालीनगर और अन्य स्थानों पर स्मार्ट साइकिल कियोस्क बनाए गए हैं।
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भरतपुर: संजोयी विरासत तो बढ़े पर्यटक
भरतपुर को राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र का सिंह द्वार कहा जाता है। अजेय लोहागढ़ के नाम से मशहूर भरतपुर शहर पिछले कुछ दशकों में काफी बदला है। इस शहर में विरासत के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास हुए। इसी का नतीजा रहा कि पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ी। लोहागढ़ किले को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटकों के दल पहुंचते हैं। राजकीय संग्रहालय में संग्रहीत पुरा विरासत भी पर्यटन को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है। इससे यहां रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हुई है।
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