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भाजपा ने जीत की चाहत में काटे मंत्रियों और विधायकों के टिकट

locationजयपुरPublished: Nov 15, 2018 08:35:00 am

Submitted by:

santosh

भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दूसरी सूची में अपने तीन मंत्रियों व 14 विधायकों का टिकट काट दिए हैं।

raje
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दूसरी सूची में अपने तीन मंत्रियों व 14 विधायकों का टिकट काट दिए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि टिकट कटने के पीछे जीत की रणनीति के अलावा इन मंत्रियों व विधायकों का विरोध व उनके विवादित बोल, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा, क्षेत्र में समुचित विकास न होना मुख्य कारण रहे। कुछ स्थानों पर विधायकों के स्थान परिवर्तन भी किए गए हैं। इससे भी कुछ को टिकट से हाथ धोना पड़ा।
राजकुमार रिणवा
रतनगढ़ से तीन बार विधायक बने रिणवा के खिलाफ कार्यकर्ताओं का विरोध था। रिणवा के खान मंत्री रहते हुए ही प्रदेश में खान घोटाला हुआ था। बदले समीकरण के चलते अभिनेष महर्षि मजबूत उमीदवार के रूप में सामने आए। चर्चा यह भी है कि रिणवा सरदारशहर से टिकट मिल सकता है।

धनसिंह रावत
बांसवाड़ा विधायक और राज्यमंत्री धनसिंह रावत पर सरकारी बैठकों में अफसरों से अभद्रता करने के आरोप लगे। उनके बेटे पर बीच सड़क पर एक शख्स की धुनाई करने का आरोप भी लगा। हाल ही धर्म को लेकर उनके विवादित बयान पर निर्वाचन विभाग ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया।
बाबूलाल वर्मा
केशवरायपाटन विधायक और मंत्री वर्मा को क्षेत्र की जनता और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भारी पड़ गई। वर्मा क्षेत्र में सक्रिय तो रहे, लेकिन अफसर उनकी सुनते ही नहीं थेा। पार्टी के अंदरूनी सर्वे में भी वर्मा पिछड़ रहे थे। उनकी जगह रामगंजमंडी विधायक चन्द्रकांता मेघवाल को मौका दिया गया है।
तरुणराय कागा
चौहटन विधायक कागा का टिकट कटने की वजह कार्यकर्ताओं की नाराजगी है। पार्टी स्तर के सर्वे में भी यह स्थिति सामने आई थी। नया चेहरा आदूराम मेघवाल को लिया गया है, जो सिवाना आरक्षित सीट से 2003 का चुनाव हार गए थे। भाजपा जिलाध्यक्ष रहे मेघवाल संघ की पृष्ठभूमि से हैं।

आर.सी.सुनारीवाल
डग विधायक सुनारीवाल की शिकायत स्थानीय कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री से की थी। राजे ने सार्वजनिक कार्यक्रम में लोगों के सामने सुनारीवाल के लिए कह दिया था कि हो सकता है कि इस बार सुनावारीवाल को टिकट नहीं मिले। लेकिन आप प्रत्याशी को नहीं हमें देखकर वोट देना।
शैतान सिंह
पोकरण से विधायक शैतान सिंह ने चुनाव शुरू होने से पहले एक कार्यक्रम में कह दिया था कि उन्हें मुसलमानों के वोट नहीं चाहिए। उनके इस बयान का वीडियो खूब वायरल हुआ और भाजपा नेतृत्व पर सवाल खड़े किए गए थे।
मंगलराम कोली
कठूमर क्षेत्र में निष्क्रियता एवं विकास कार्यों के प्रति उपेक्षित रवैये के कारण कोली का टिकट काटा गया है। पिछले दिनों मंगलराम कोली के परिजनों पर गंभीर आरोप लगे थे। कठूमर से बाबूलाल मैनेजर को टिकट दिया है।
रानी कोली
बसेड़ी विधायक रानी कोली का टिकट कटने की वजह उनके व्यवहार और कार्यकर्ताओं का विरोध बताया जा रहा है। विधायक कोली पर कुछ लोगों के इशारे पर कार्य करने और कार्यकर्ताओं की अनदेखी के आरोप लगते रहे हैं।
जीतमल खांट
गढ़ी विधायक जीतमल खांट इसी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। अपने कार्यकाल में ग्रामीण विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहे। इसी के चलते पहले मंत्री पद गया और अब टिकट कट गया। स्थानीय कार्यकर्ता भी नाराज थे।
लक्ष्मीनारायण बैरवा
चाकसू विधायक बैरवा के विरोध में स्थानीय कार्यकर्ता पिछले लंबे समय से थे। कार्यकर्ताओं ने स्थानीय को टिकट देने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया और CM से भी मिले थे। पार्टी ने यहां रामावतार बैरवा को मौका दिया है।
राजकुमारी जाटव
राजकुमारी जाटव ने सांसद मनोज राजोरिया से भारी बदसलूकी की थी और यह प्रभारी मंत्री जसवंत यादव के सामने हुआ था। इसका वीडियो वायरल हुआ था। राजकुमारी का टिकट काटकर मंजू खैरवाल को मिला है जो किरोड़ीलाल खेमे की हैं।
गीता वर्मा
सिकराय से गीता का टिकट काटकर विक्रम बंशीवाल को मिला है। भाजयुमो जिलाध्यक्ष रहे विक्रम के दादा सोहनलाल बंशीवाल दौसा से विधायक रहे हैं। पिता जियालाल व चाचा नंदलाल भी दो-दो बार विधायक, ताऊ सांसद रहे हैं।
किसनाराम नाई
श्रीडूंगरगढ़ सीट से विधायक किसनाराम का भी टिकट काटा गया है। पार्टी ने यहां से ताराचंद सारस्वत को मैदान में उतारा है। अस्सी पार किसनाराम नाई की उम्र उनके टिकट के आड़े आ गई। क्षेत्र में भी उनके प्रति लोगों में रोष था।
कृष्ण कड़वा
हनुमानगढ़ के संगरिया से किशन कड़वा का टिकट काट कर गुरदीप सिंह शाहपीणी को दिया गया है। उधर, अनूपगढ़ से शिमला बावरी का टिकट काटा गया है, जबकि उनके स्थान संतोष बावरी को प्रत्याशी बनाया गया है।
छोटू सिंह
जैसलमेर से विधायक छोटू सिंह से स्थानीय कार्यकर्ता लंबे समय से नाराज चल रहे थे। उनका टिकट काटने का आधार यही नाराजगी मानी जा रही है। इधर, सांगसिंह भाटी ने भी बगावत के संकेत दे दिए थे, जिसका दबाव भी पार्टी पर रहा।
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