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राजस्थान का रण: बीतते गए साल, धीमी ही रही पेयजल परियोजनाओं की चाल

locationजयपुरPublished: Sep 08, 2018 09:40:40 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

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rajasthan ka ran
जयपुर। चुनावी साल में पेयजल संकट भले ही जनता की परेशानी और सरकार की चिन्ता बढ़ा रहा है लेकिन राज्य में 30 हजार करोड़ की 450 से अधिक पेयजल योजनाएं ढिलाई की भेंट चढ़ रही हैं। राजधानी समेत राज्य का बड़ा हिस्सा पेयजल समस्या से जूझ रहा है लेकिन पेयजल परियोजनाओं को गति नहीं मिल पा रही है। इनमें कुछ योजनाएं तो ऐसी हैं जिनका काम 10 से 18 साल पहले शुरू हुआ लेकिन अब तक 50 फीसदी भी पूरा नहीं हो पाया है।
बीसलपुर बांध में पानी की आवक कम होने के कारण जलदाय विभाग बांध से जुड़े जयपुर समेत अन्य इलाकों में पेयजल आपूर्ति में कटौती कर रहा है। प्रदेश के अन्य इलाकों में भी पेयजल समस्या गहरा रही है। विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा लेकिन कहीं जमीन पर कब्जा लेने तो कहीं ठेकेदारों के धीमे काम पर जलदाय विभाग ने ध्यान नहीं दिया। ऐसे में योजनाओं की गति धीमी होने के कारण तय है कि पेयजल समस्या दूर होने में अभी समय लगेगा।
इतनी धीमी चाल
– 26 हजार करोड़ रुपए लागत की 54 बड़ी पेयजल योजनाओं में से 20695 करोड़ की 37 योजनाओं की गति अत्यंत धीमी
– 14491 करोड़ रुपए लागत की ग्रामीण पेयजल योजनाओं में से 7491 करोड़ की 119 योजनााएं भी तय समय से काफी पीछे
अठारह साल बाद भी योजना अधूरी
– लवणता प्रभावित धौलपुर जिले के 106, भरतपुर के 945 गांवों और पांच कस्बों के लिए 1050 करोड़ की चंबल-भरतपुर-धौलपुर योजना पर काम 1999 से शुरू हुआ था। इसके 7 में से सिर्फ एक पैकेज पूर्ण हुआ है। अब तक 378 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। योजना 1999 से चल रही है।
– नागौर लिफ्ट परियोजना 494 गांवों के लिए 1194 करोड़ रुपए लागत से 2006 में शुरू हुई। यह अब भी अधूरी है। ठेकेदारों पर 26 करोड़ का जुर्माना लगाया लेकिन वसूला नहीं गया।
– कोटा जिले के लाडपुरा तहसील की 77 बस्तियों की बोरबास पदमपुरा नयागांव कसार योजना का काम वन विभाग की आवश्यक मंजूरी के बिना होने के कारण 10 साल बाद भी अधूरी है।
ग्रामीण योजनाओं में ये होने हैं काम
– पाइप युक्त जल योजना
– नलकूप
– हैंडपंप
– डिग्गी (लघु तालाब)
विलम्ब के कारण
बड़ी परियोजनाएं
– 05 परियोजनाएं : संबंधित विभागों से आवश्यक मंजूरी लेने में देर
– 13 परियोजनाएं : जमीन पर कब्जा लेने में देर
– 06 परियजोनाएं : आवश्यक मंजूरी और जमीन पर कब्जा लेने में देर
– 13 परियोजनाएं : ठेकेदारों ने गति धीमी रखी, बजट की कमी
ग्रामीण योजनाएं
– 48 योजनाएं : भूमि विवाद के कारण देर
– 21 योजनाएं : अधिकारियों ने मंजूरी जारी करने में देर की
– 15 योजनाएं : स्रोत संबंधी देर
– 08 योजनाएं : विद्युत संबंधी मंजूरी में देर
– 03 योजनाएं : बजट की कमी
– 24 योजनाएं : अन्य समस्याओं के कारण
कैग ने समन्वय बनाने की दी सलाह
कैग ने वर्षों से चल रही योजनाओं पर ध्यान नहीं देने के लिए सरकारी अफसरों के रवैये पर आपत्ति जताई है। साथ ही जलदाय विभाग को दूसरे मंत्रालयों, विभागों और अधिकारियों से समन्वय स्थापित करने की सलाह दी है।

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