पिछले चुनावों का रेकॉर्ड देखे तो बागियों ने चुनावी मैदान में बाजी कम मारी हो, लेकिन बहुत सी सीटों पर खेल बिगाड़े हैं। 1993 में कांग्रेस में कईयों के टिकट कटे तो वह बागी होकर चुनाव लड़े। कांग्रेस 76 सीटों पर अटक गई, जबकि भाजपा 95 ही जीत पाई। 21 निर्दलीयों ने चुनाव जीता, इनमें से तीन विधायक भाजपा समर्थित थे, जबकि अधिकांश बागी थे। कांग्रेस से बागी होकर चुनाव जीते विधायकों ने Bhairon Singh Shekhawat को समर्थन देकर भाजपा की सरकार बनवा दी। इसी तरह 2008 से पहले Kirori Lal Meena ने भाजपा से और परसादीलाल मीणा ने कांग्रेस से बगावत कर दी। इस वजह से कई सीटों पर समीकरण बिगड़े। भाजपा 78 सीटों पर रुक गई और कांग्रेस 96 सीटें ही हासिल कर सकी। 2013 में भी किरोड़ी ने राजपा का दामन थाम करीब आधा दर्जन से अधिक सीटों पर प्रमुख दलों का खेल बिगाड़ा था।
गत चुनाव में इन बागियों की जीत
लूणकरणसर से भाजपा से बागी माणिकचंद सुराणा 4,817 वोटों से जीते। कांग्रेस के वीरेंद्र बेनीवाल तीसरे नंबर पर खिसक गए। वल्लभनगर से भाजपा के बागी रणधीरसिंह भींडर चुनाव जीता। खींवसर में भाजपा के बागी हनुमान बेनीवाल के सामने कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार तो मुकाबले में ही नहीं आ सके। नवलगढ़ से कांग्रेस के बागी राजकुमार शर्मा ने पिछले चुनावों में कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिभा सिंह को 33,566 मतों से हराया।
लूणकरणसर से भाजपा से बागी माणिकचंद सुराणा 4,817 वोटों से जीते। कांग्रेस के वीरेंद्र बेनीवाल तीसरे नंबर पर खिसक गए। वल्लभनगर से भाजपा के बागी रणधीरसिंह भींडर चुनाव जीता। खींवसर में भाजपा के बागी हनुमान बेनीवाल के सामने कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार तो मुकाबले में ही नहीं आ सके। नवलगढ़ से कांग्रेस के बागी राजकुमार शर्मा ने पिछले चुनावों में कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिभा सिंह को 33,566 मतों से हराया।
बागी बने लेकिन करारी शिकस्त
बागवत के फेर कुछ नेताओं की फजीहत भी हुई। लूनी से कांग्रेस के बागी पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी को महज 18,966 वोट मिले। पूर्व मंत्री रतनलाल तांबी को जहाजपुर में सिर्फ 4,767 वोट मिले। सीकर से विधायक रह चुकी राजकुमारी शर्मा बगावत कर चुनाव लड़ी तो उन्हें जनता ने जमीन दिखा दी। चुनाव सिर्फ 5 हजार वोट मिले। डग से विधायक रहीं स्नेहलता ने भाजपा से बगावत कर राजपा का दामन थामा, लेकिन उन्हें सिर्फ 1,787 वोट ही मिले।
बागवत के फेर कुछ नेताओं की फजीहत भी हुई। लूनी से कांग्रेस के बागी पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी को महज 18,966 वोट मिले। पूर्व मंत्री रतनलाल तांबी को जहाजपुर में सिर्फ 4,767 वोट मिले। सीकर से विधायक रह चुकी राजकुमारी शर्मा बगावत कर चुनाव लड़ी तो उन्हें जनता ने जमीन दिखा दी। चुनाव सिर्फ 5 हजार वोट मिले। डग से विधायक रहीं स्नेहलता ने भाजपा से बगावत कर राजपा का दामन थामा, लेकिन उन्हें सिर्फ 1,787 वोट ही मिले।