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कांग्रेस की सूची आने के बाद ही की जाएगी भाजपा की इन विवादित सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा

locationजयपुरPublished: Nov 15, 2018 10:25:19 am

Submitted by:

santosh

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amit shah
जयपुर। भाजपा ने प्रत्याशी घोषित करने के मामले में कांग्रेस को पछाड़ दिया है। कांग्रेस अब तक पहली सूची तक जारी नहीं कर सकी और भाजपा ने बुधवार को 31 प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट घोषित कर दी। भाजपा की दूसरी लिस्ट में पूरी तरह वसुंधरा राजे और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का दबदबा है। लिस्ट छोटी होने के बावजूद इसमें उलटफेर ज्यादा हैं। इस बार 31 में से 21 नए चेहरे उतारे गए हैं। पार्टी ने अब तक मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। दरअसल इन सीटों पर पार्टी कांग्रेस का रुख देखकर निर्णय करेगी। पार्टी ने इस बार 31 में से 4 महिलाओं को मौका दिया है।
नई दिल्ली में बुधवार को दिनभर मैराथन बैठकें चलीं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी, ओमप्रकाश माथुर, गजेन्द्र सिंह शेखावत, चन्द्रशेखर, अशोक परनामी, वी. सतीश, अविनाश राय खन्ना ने सबसे पहले प्रकाश जावड़ेकर के साथ बैठक की। यह बैठक करीब आधा घंटे चली। इसके बाद अमित शाह के साथ उनके आवास पर करीब साढ़े चार घंटे बैठक चली। शाह के आवास पर बैठक खत्म होने के बाद सभी नेता फिर से प्रकाश जावड़ेकर के यहां पहुंचे। यहां करीब पौने दो घंटे बैठक चली। बाद में रात करीब 8 बजे पार्टी ने 31 प्रत्याशियों की दूसरी सूची घोषित कर दी।
किरोड़ी ने रोका हुड़ला का टिकट
किरोड़ी लाल मीणा भी खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने ओमप्रकाश हुड़ला की खुली बगावत करते हुए कह दिया है कि यदि हुड़ला को महुवा से टिकट दिया गया तो वे मदद करने की स्थिति में नहीं रहेंगे। मीणा दिन भर दिल्ली में रहे। पहले प्रकाश जावड़ेकर के यहां, फिर अमित शाह और उसके बाद फिर प्रकाश जावड़ेकर के यहां उनकी बैठकें होती रही। यह भी चर्चा रही कि किरोड़ी लाल मीणा सवाईमाधोपुर सीट से विधायक का चुनाव लड़ सकते हैं। इन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कांग्रेस की सूची आने के बाद ही की जाएगी।
163 में से 93 वही पुराने चेहरे
भाजपा ने पिछले चुनाव में 163 सीटों पर जीत दर्ज की। इनमें से 93 पुराने चेहरों को पार्टी अब तक मैदान में उतार चुकी है। अब तक कुल 162 प्रत्याशियों की घोषणा हुई है। इनमें से 133 सीटों पर तो फिलहाल भाजपा के ही विधायक हैं। इनमें से 93 विधायक अपना टिकट बचाने में कामयाब हो गए। पार्टी ने 131 की अपनी पहली लिस्ट में 85 विधायकों को फिर मौका दिया है। दूसरी लिस्ट में 8 विधायकों पर फिर दावं लगाया। पार्टी 132 में से 39 विधायकों के अब तक टिकट काट चुकी है। इनमें कुछ मंत्री भी शामिल हैं।
धरी रह गई पॉलिसी, बदले चुनाव क्षेत्र
केन्द्रीय नेतृत्व ने ज्यों ही राज्य में प्रत्याशियों के पैनल तैयार होना शुरू हुए, त्यों ही बार-बार दोहराया कि मंत्री और विधायकों के चुनाव क्षेत्र नहीं बदले जाएंगे। यदि ऐसी स्थिति बनी तो उनके स्थान पर अन्य प्रत्याशी को मौका दिया जाएगा। जमीनी स्तर पर यह संभव नहीं हुआ। पार्टी ने रामगंज मंडी से विधायक चन्द्रकांता मेघवाल को इस बार केशोरायपाटन से चुनाव में उतारा है।
4 दलबदलुओं को मौका
चुनाव से ऐन पहले भाजपा में शामिल हुए चार नेताओं को भी पार्टी ने चुनाव में उतारा है। इनमें अभिनेष महर्षि, अशोक शर्मा, गुरदीप सिंह शाहपीणी और महेश प्रताप सिंह शामिल हैं। इनमें से शर्मा और सिंह कांग्रेस से और महर्षि बसपा से भाजपा में आए हैं। शाहपीणी दो बार निर्दलीय चुनाव लड चुके हैं। महर्षि को टिकट देने के लिए पार्टी ने अपने मंत्री राजकुमार रिणवां तक का टिकट काट दिया।
अब 38 सीटों पर विवाद
भाजपा को अब 38 सीट पर अपने प्रत्याशी और घोषित करने हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश सीटों पर भारी विवाद है। इनमें से कुछ सीटों पर मुख्यमंत्री एवं संघ की तो कुछ सीटों पर मुख्यमंत्री एवं अन्य नेताओं की आम सहमति नहीं बन पा रही है। इनमें केकड़ी, तिजारा, बहरोड़, बानसूर, थानागाजी, अलवर ग्रामीण, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, बारां-अटरू, कामां, आसींद, मांडलगढ़, हिंडौली, तारानगर, सरदारशहर, सुजानगढ़, बांदीकुई, महुवा, दौसा, करणपुर, कोटपूतली, जमवारामगढ़, सांगानेर, झुंझुंनूं, नवलगढ़, टोडाभीम, करौली, पीपल्दा, लाडपुरा, डीडवाना, खींवसर, मकराना, सुमेरपुर, गंगापुरसिटी, सवाईमाधोपुर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, निवाई और वल्लभनगर शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक अब इन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कांग्रेस की सूची आने के बाद ही की जाएगी।
हर हालत में विरोध रोको
केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में अमित शाह ने पिछली घोषित सूची की कुछ सीटों को लेकर उठ रहे विरोध के स्वर का कारण भी जानने का प्रयास किया। उन्होंने पूछा कि आखिर यह विरोध क्यों हो रहा। उन्होंने साफ तौर पर निर्देश भी दिए कि इस तरह का विरोध पार्टी के लिए मुश्किल कर सकता है। इसलिए किसी भी तरह विरोध के स्वर सार्वजनिक नहीं होने चाहिए।
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