राज्य सरकार इन खतरों के जरिए ही समाधान की दिशा में बढ़ी है। सरकार का अब हर दिन 70 से 75 हजार टन कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य है। ऊर्जा व परिवहन के अलावा औद्योगिक क्षेत्र, कॉमर्शियल, वेस्ट, सीवरेज, कचरा जैसे सेक्टरों में समयबद्ध कार्ययोजना बनाई गई है। सोलर एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस है।
नई सोलर नीति के तहत अगले प्रदेश के कुल ऊर्जा उत्पादन में अगले पांच साल में सौर ऊर्जा का हिस्सा 40 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। इससे थर्मल ऊर्जा पर निर्भरता कम होगी। वाहनों के बढ़ते कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम के लिए सरकार परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों का दायरा फैलाकर वर्ष 2024 तक 25 प्रतिशत ई-वाहन करने का लक्ष्य प्रस्तावित किया है।
इस राह चले तो हटेंगे कार्बन के काले बादल
1. ग्रीन एनर्जी का बढ़े दायरा : राज्य में 5552 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट और 4358 मेगावाट के विंड एनर्जी प्लांट हैं। अभी 36500 मेगावाट के अक्षय ऊर्जा के अनुबंध हो चुके। 15 हजार मेगावाट के प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं।
1. ग्रीन एनर्जी का बढ़े दायरा : राज्य में 5552 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट और 4358 मेगावाट के विंड एनर्जी प्लांट हैं। अभी 36500 मेगावाट के अक्षय ऊर्जा के अनुबंध हो चुके। 15 हजार मेगावाट के प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं।
2. थर्मल प्लांट से घटे प्रदूषण : थर्मल प्लांट की कार्बन फुट प्रिंट बढ़ा रही है। इसका प्रभाव कम करने के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाना जरूरी है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी व पर्यावरण मंत्रालय दिशा-निर्देश दे चुके हैं।
3. ई-परिवहन पर फोकस : राज्य में करीब 67 हजार बसें (सरकारी, लोक परिवहन, निजी) संचालित हैं। इन्हें इलेक्ट्रिक बसों से बदला जाना चाहिए। शुरुआत केवल 150 बसों से हो रही है। यह संख्या तेजी से बढ़ानी जरूरी है।
4. हरित क्षेत्र का हो विस्तार : प्रदेश में हरित क्षेत्र का दायरा कागजों से निकलकर धरातल पर फैलाना जरूरी। एक लाख से ज्यादा आबादी वाले निकायों में नगर वन विकसित करने का काम तेजी से हो।
5. औद्योगिक क्षेत्र : सीमेंट और अन्य वृहद स्तर के उद्योग इंटरनेशनल बाजार में कार्बन क्रेडिट के लिए अधिकाधिक भागीदारी कर रहे हैं। इसमें सिरोही, उदयपुर, भिवाड़ी क्षेत्रों पर काम शुरू किया गया। अभी हमने यहां बढ़ाए कदम
– देश में बिकने वाले ई-वाहन में से 6.21 प्रतिशत राजस्थान का हिस्सा है। निर्धारित स्टेशनों पर इन वाहनों को रिचार्ज करने के लिए 6 रुपए प्रति यूनिट बिजली दर निर्धारित।
– पहली बार टाइम ऑफ डे व्यवस्था लागू की गई है, यानी चार्जिंग स्टेशन पर रात में वाहन चार्ज करते हैं तो बिजली उपभोग दर में 15 प्रतिशत छूट मिलेगी।
– राजस्थान के 194 निकायों में सोडियम की बजाय एलईडी स्ट्रीट लाइट लगीं। विद्युत खपत में 50 प्रतिशत कमी आने का आकलन।
– पानी सप्लाई केन्द्र पर सोलर प्लांट अनिवार्य।
– शहरों में सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी 14 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य तय।
– परिवहन विभाग की नीति के मसौदे में 2024 तक 25 प्रतिशत ई-वाहन करने का लक्ष्य प्रस्तावित। दोपहिया, कार, ऑटो, मालवाहक वाहन, ई-रिक्शा पर 30 हजार तक सब्सिडी, ई-वाहनों के लिए पंजीकरण शुल्क और रोड टैक्स में छूट।
– जयपुर व जोधपुर में कचरे से बिजली बनाने का प्लांट प्रस्तावित
– देश में बिकने वाले ई-वाहन में से 6.21 प्रतिशत राजस्थान का हिस्सा है। निर्धारित स्टेशनों पर इन वाहनों को रिचार्ज करने के लिए 6 रुपए प्रति यूनिट बिजली दर निर्धारित।
– पहली बार टाइम ऑफ डे व्यवस्था लागू की गई है, यानी चार्जिंग स्टेशन पर रात में वाहन चार्ज करते हैं तो बिजली उपभोग दर में 15 प्रतिशत छूट मिलेगी।
– राजस्थान के 194 निकायों में सोडियम की बजाय एलईडी स्ट्रीट लाइट लगीं। विद्युत खपत में 50 प्रतिशत कमी आने का आकलन।
– पानी सप्लाई केन्द्र पर सोलर प्लांट अनिवार्य।
– शहरों में सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी 14 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य तय।
– परिवहन विभाग की नीति के मसौदे में 2024 तक 25 प्रतिशत ई-वाहन करने का लक्ष्य प्रस्तावित। दोपहिया, कार, ऑटो, मालवाहक वाहन, ई-रिक्शा पर 30 हजार तक सब्सिडी, ई-वाहनों के लिए पंजीकरण शुल्क और रोड टैक्स में छूट।
– जयपुर व जोधपुर में कचरे से बिजली बनाने का प्लांट प्रस्तावित