दुकानों का आवंटन ऑनलाइन नीलामी के जरिए किया जाएगा। नीलामी में शामिल होने के लिए पहले आवेदन शुल्क जमा कराकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अधिकतम बोलीदाता को दुकान आवंटन की जाएगी। आवेदन शुल्क दुकान की आरक्षित राशि के आधार पर 40 से 60 हजार रुपए तक रखा गया है। यह शुल्क दुकान आवंटन नहीं होने पर भी वापस नहीं होगा। बड़ी बात यह है कि अधिक राशि वसूली की शिकायतों को देखते हुए पोश मशीन से अब दुकानदार को बिल जारी करना होगा। शराब उत्पादन ईकाई से रिटेल दुकान तक पहुंचाने की स्काडा सिस्टम से ट्रेक एवं ट्रेस प्रणाली लागू की जाएगी।
राज्य सरकार ने बड़े शराब ठेकेदारों का एकाधिकार तोडऩे के लिए वर्ष 2015 में ठेका व्यवस्था को खत्म कर अंग्रेजी शराब दुकान एक-एक और देशी की वार्ड व ग्राम पंचायत वार समूह बनाकर करना शुरू किया था। इससे इस कारोबार में बड़ी संख्या में आमजन भी आ गए थे। लेकिन अब लॉटरी व्यवस्था खत्म कर ऑनलाइन नीलामी से दुकान आवंटन किए जाने से बोली लगाने में आमजन बड़े शराब कारोबारियों का मुकाबला नहीं कर सकेंगे।
बड़ी बात यह है कि प्रत्येक त्रैमास में गारंटी राशि से कम शराब बिक्री करने पर नकद राशि जमा करानी होगी। सालभर में 34.17 करोड़ बल्क लीटर देशी शराब व राजस्थान निर्मित शराब प्रदेश में पिलाने का लक्ष्य रखा गया है। होटल, क्लब, बार में माइक्रो ब्रूवरी की अमुमति दी जा सकेगी। इसी प्रकार राज्य कर्मचारी दुकान आवंटन के लिए नीलामी में भाग नहीं ले सकेंगे। दुकानों के समय में कोई बदलाव नहीं किया गया है। शराब दुखांतिकाओं की रोकथाम के लिए जिम्मेदारी अधिकारियों की तय की गई है।