राजस्थान की आबकारी नीति में बड़े बदलाव की तैयारी, अब एक ही दुकान से बिकेगी देशी-अंग्रेजी शराब और बीयर!
Rajasthan की नई आबकारी नीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी है। इसके लिए वित्त विभाग ने सभी जिलों से रिपोर्ट मंगा ली है। इसके तहत सभी अंग्रेजी व देशी शराब दुकानों को 'कम्पोजिट' किया जाएगा।

सुनील सिंह सिसोदिया
जयपुर। Rajasthan की नई आबकारी नीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी है। इसके लिए वित्त विभाग ने सभी जिलों से रिपोर्ट मंगा ली है। इसके तहत सभी अंग्रेजी व देशी शराब दुकानों को 'कम्पोजिट' किया जाएगा। यानी देशी-अंग्रेजी शराब और बीयर, सभी की बिक्री एकसाथ होगी। प्रत्येक दुकान की गारंटी राशि इन तीनों से मिलने वाली राशि को जोड़कर तय की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार नई नीति में शहरों में कुछ दुकानें कम की जा सकती हैं। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर दुकान आवंटन ई-नीलामी के जरिए करने की तैयारी है। आबकारी विभाग ने पिछले साल ही नई आबकारी नीति जारी की थी। इसमें दुकानों का एक साल के लिए और नवीनिकरण करने का प्रावधान किया गया लेकिन अब राजस्व वृद्धि के लिए विभाग नई नीति जारी करने की तैयारी कर चुका है। इसे अंतिम रूप देने के लिए 18 जनवरी को वित्त व आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक होगी।
राज्य में शराब की इतनी दुकानें
- 1000 दुकानें अंग्रेजी शराब की
- 6600 दुकानें देशी शराब की
- 1191 देशी दुकानें शहरी क्षेत्र में, शेष ग्रामीण में
- 206 दुकानें अंग्रेजी और 300 दुकानें देशी शराब की हैं जयपुर में
एक-एक दुकान की होगी ई-नीलामी
अंग्रेजी शराब दुकानों का आवंटन एक-एक कर लॉटरी के जरिए किया जाता है। जबकि देशी शराब के लिए शहरी क्षेत्रों में वार्ड और ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत वार समूह बना रखे हैं। एक समूह में देशी शराब की दो से तीन दुकानें हैं। नई व्यवस्था में अंग्रेजी शराब दुकानों की तर्ज पर सभी दुकानों को कम्पोजिट कर एक-एक की ई-नीमाली की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक इस बार दुकानों की ई-नीलामी इस्पात मंत्रालय के एमएसटीसी पोर्टल या अन्य ऑनलाइन पोर्टल से की जा सकती है।
राजस्व बढ़ाने का प्रयास
राजस्व आय में आबकारी विभाग लक्ष्य से भले ही पीछे चल रहा है लेकिन गत वर्ष के मुकाबले दिसंबर तक ही करीब 800 करोड़ अधिक मिल चुके हैं। इसके बावजूद विभाग राजस्व और बढ़ाने के प्रयासों में जुटा है। सूत्रों के अनुसार अभी लक्ष्य 12500 करोड़ है, जिसे नई नीति में 14000 से 15000 करोड़ तक किया जा सकता है।
ठेकेदारों का तर्क
इधर, नई नीति की जानकारी मिलने पर ठेकेदार विरोध में आ गए हैं। ठेकेदारों का तर्क है कि 5000 और 50 रुपए की शराब खरीदने वाले एक ही जगह आकर खड़े होंगे तो दिक्कतें आएंगी। कारोबार प्रभावित होगा। नीति में दो साल के लिए प्रावधान किए गए तो एक साल बाद ही नई नीति क्यों लाई जा रही है।
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