जयपुर

राजू ने चार लोगों को दी जिंदगी, परिवार को मिले सिर्फ आश्वासन

राज्य के पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के डोनर ( Rajasthan First Heart Transplant Donor ) राजू का दिल किसी दूसरे के काम आया, लेकिन सरकारी घोषणाएं पूरी होने का इंतजार अब भी परिवार कर रहा है। सांगानेर वाटिका निवासी राजू लुहार का परिवार मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहा है…

जयपुरJan 22, 2020 / 08:15 am

dinesh

रवि गुप्ता
जयपुर/गोनेर। राज्य के पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के डोनर ( Rajasthan First Heart Transplant Donor ) राजू का दिल किसी दूसरे के काम आया, लेकिन सरकारी घोषणाएं पूरी होने का इंतजार अब भी परिवार कर रहा है। सांगानेर वाटिका निवासी राजू लुहार का परिवार मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहा है। उसके परिजनों ने बताया कि साढ़े चार साल पहले तत्कालीन चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने राजू के नाम से अस्पताल व धर्मशाला खोलने का आश्वासन दिया था, लेकिन वादे के पूरे होने का इंतजार हमें आज भी है। मंत्री के कार्यालय पर गुहार लगाने के बाद मकान का पट्टा जारी करने के निर्देश भी ग्राम पंचायत में अटके पड़े हैं।
मिसाल कायम कर गया राजू
2 अगस्त 2015 को राजू के अंगदान से राजस्थान में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ। 18 साल के राजू के सडक़ हादसे के बाद ब्रेनडेड होने के कारण चिकित्सकों व पड़ोसियों के समझाने के बाद उसके परिजनों ने सीतापुरा स्थित निजी अस्पताल में दिल, लीवर व दोनों किडनी दान कर दी थी। राजू का दिल अस्पताल में ही दूसरे मरीज सूरजभान को ट्रांसप्लांट ( Heart Transplant ) किया गया था। लीवर ग्रीन कॉरिडोर के जरिए दिल्ली भेजा गया था। वहीं एक किडनी एसएमएस अस्पताल में शकुंतला व दूसरी किडनी महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती बसंती देवी को ट्रांसप्लांट की गई थी।
अस्पताल से मिले सिर्फ तीन कम्बल
राजू की मां मीरा देवी ने बताया कि अंगदान के समय आर्थिक सहायता की बात अस्पताल द्वारा बताई गई थी। उस समय खाना खिलाकर तीन कम्बल दिए गए थे। उसके बाद कई बार सम्पर्क करने पर भी अस्पताल द्वारा किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं दी गई है।
मजदूरी से परिवार का पालन
राजू की मां ने बताया कि उनके गाडिय़ा लुहार परिवार के छह भाई-बहनों में सबसे बड़े राजू की मौत के बाद से उसके पिता की तबीयत ठीक नहीं रहती है। परिवार का पालन पोषण करने के लिए मुझे ही मेहनत मजदूरी करनी पड़ती है। आय नाकाफी होने से परिवार कर्ज के बोझ तले दबे जा रहा है।
पिता की अधूरी आस
राजू के पिता सीताराम ने बताया कि उस समय राजू के नाम से समाज की धर्मशाला व अस्पताल बनाने की घोषणा हुई थी। आज तक इसका इंतजार कर रहे है कि हमारे बेटे के नाम से कोई समाज के काम आने वाली धर्मशाला या अस्पताल बने।
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