इन नतीजों से खासकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुश नजर आ रहे हैं। दरअसल, अगले महीने प्रदेश में निकाय चुनाव होने हैं, ऐसे में इस जीत से कांग्रेस कार्यकर्ता जोश से भरपूर हैं। वहीं अगर भाजपा की बात की जाए तो मंडावा सीट पर पहली बार 2018 में उनका कब्जा हुआ था, लेकिन एक साल के भीतर ही सीट उनके हाथ से निकल गई। ऐसे में पार्टी को झटका लगा है।
उधर, खींवसर सीट पर भाजपा ने रालोपा से गठबंधन कर लिया था। इसलिए यह माना जा सकता है एक सीट कांग्रेस और एक भाजपा के खाते में गई। हालांकि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने साफ तौर पर कहा है कि इन नतीजों से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन निकाय चुनाव में अब पार्टी को ज्यादा जोर लगाना पड़ेगा।
राजस्थान विधानसभा में दलीय गणित कांग्रेस (बसपा विधायकों सहित)-107 भाजपा-72 निर्दलीय-13 राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा)- 3 राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी)- 1 भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी)- 2 माक्र्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा)- 2
नतीजे आने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने मण्डावा उपचुनाव में भारी मतों से विजयी हुई कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि खींवसर उपचुनाव सभी ने एकजुट होकर मजबूती से लड़ा, जहां लोकसभा चुनावों में इस सीट पर लगभग 55 हज़ार का डिफ़रेंस रहा, वहीं सिर्फ 5 महीने बाद करीब 4 हज़ार 630 का अंतर हमारे लिए जीत के समान ही है।
परिणाम भाजपा को आइना दिखाने वाले: गहलोत
हरियाणा एवं महाराष्ट्र सहित कई स्थानों पर उपचुनावों के परिणाम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वालों के लिए ये चुनाव परिणाम बड़ा झटका हैं। हरियाणा में जनता ने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ जनादेश दिया है और भाजपा के ‘अबकी बार 75 पार’ के नारे को नकार दिया है, वहीं महाराष्ट्र में भी भाजपा और उनके सहयोगी दलों की सीटें कम होना और कांग्रेस के प्रति विश्वास बढ़ना हमारे लिए सकारात्मक संकेत है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी को आइना दिखाने वाले हैं कि जिस रूप में राष्ट्रवाद, धारा 370 और भावनात्मक मुद्दों सहित झूठ और भ्रम की जो राजनीति की जा रही है, जिस तरह से डर, हिंसा और अविश्वास का माहौल देश में बनाया जा रहा है उसे जनता अब समझ रही है और मुद्दा विहीन राजनीति को देश की जनता ने नकारना शुरू कर दिया है।
सीएम ने कहा, कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वालों को यह जनता का स्पष्ट सन्देश है जैसा कि मैं लगातार कहता हूँ, कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाले खुद मुक्त हो जाएंगे लेकिन कांग्रेस कभी भारत से मुक्त नहीं होने वाली।