याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट्स से बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लंबित मामलों की जानकारी मांगी है । सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वे हाईकोर्ट से ये आंकड़ा एकत्र करें कि इन अपराधों के लंबित होने की वजह क्या है । मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।
दरअसल याचिकाकर्ता और वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने अपने आंकड़े में कहा है कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के 89 से 90 फीसदी मामले कोर्ट में लंबित हैं । उन्होंने बताया कि 2016 तक पॉक्सो एक्ट के तहत एक लाख एक हजार तीन सौ छब्बीस मामले दर्ज हुए हैं । जिसमें से करीब दस हजार मामले में ही कोर्ट के फैसले आएं हैं इस आंकड़े को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को आंकड़े मुहैया कराने का निर्देश दिया ।
केंद्र हटा पीछे दिल्ली में 30 जनवरी को आठ माह की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा देने के पक्ष में नहीं है। एएसजी पीएस नरसिम्हा ने कहा था मौत की सजा हर चीज का जवाब नहीं है। जबकि इसके बाद राजस्थान सरकार ने बीते दिनों ऐसा कानून बना भी दिया है जिसमें बच्चियों से बलात्कार के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।