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राजनेता मर्यादा ना भूलें, राज्यपाल नहीं होता पार्टी सदस्य— कलराज मिश्र

locationजयपुरPublished: Sep 09, 2021 12:03:40 pm

 
– कलराज मिश्र का राजस्थान के राज्यपाल के रूप में दो साल का कार्यकाल पूरा— प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष एवं विधायक गणेश घोघरा के एजेंट के आरोप पर पहली बार बोले राज्यपाल
 

राजनेता मर्यादा ना भूलें, राज्यपाल नहीं होता पार्टी सदस्य— कलराज मिश्र

राजनेता मर्यादा ना भूलें, राज्यपाल नहीं होता पार्टी सदस्य— कलराज मिश्र

अरविन्द सिंह शक्तावत
जयपुर।

प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र गुरूवार को राज्यपाल के रूप में दो वर्ष का कार्यकाल हो गया। मिश्र का एक साल का कार्यकाल सरकार और उनके बीच कई तरह के विवादों के साथ भी निकला। हालांकि,खुद वे किसी भी विवाद में आने से बचते रहे। इस दौरान उन पर कांग्रेस के विधायकों ने कई आरोप भी लगाए।
पत्रिका से अपने दो साल के कार्यकाल में किए गए कार्यों और विवादों को लेकर उन्होंने खुलकर बातचीत की।
प्रश्न- दो वर्ष के कार्यकाल में सत्ता पक्ष के साथ हुए विवादों को आप किस रूप में देखते हैं?

उत्तर-
विवाद कहां हुए, मुझे नहीं लगता किसी प्रकार का कोई विवाद सत्ता या अन्य किसी भी पक्ष से रहा है। संविधान सबसे ऊपर है। मैंने जो कुछ भी किया, संविधान की परम्पराओं का पालन करते हुए ही किया है। संविधान की संस्कृति सर्वोपरि है। मैं जो कुछ भी करता हूं, संविधान का सम्मान करते हुए उसकी परम्पराओं के अंतर्गत ही करता हूं। यही करना भी चाहिए। इसमें कहीं किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
प्रश्न- मर्यादाएं भी टूटीं, सत्तारूढ़ दल के एक विधायक ने आपको पार्टी विशेष का एजेंट तक कहा?

उत्तर- मैं आज राजस्थान का संवैधानिक प्रमुख हूं। संविधान की पालना हो, इसके लिए ही कार्य करता हूं। इसी में राज्यपाल का प्रभाव तथा शक्ति दोनों है। सभी जानते हैं कि राज्यपाल किसी भी पार्टी का कहीं कोई सदस्य नहीं होता है। कौन क्या कह रहा है, वह जाने। पर इतना जरूर कहूंगा कि राजनीति या किसी भी क्षेत्र में मर्यादा जरूरी है।
प्रश्न- कांग्रेस नेता बार-बार कृषि बिलों को राजभवन की ओर से अटकाए रखने के आरोप लगा रहे हैं?
उत्तर- कौन कह रहा है, कोई भी बिल आता है तो उसका संपूर्ण अध्ययन करने के बाद ही अनुमोदन की प्रक्रिया होती है। कहने को कोई कुछ भी कह सकता है।
प्रश्न- एक किताब को राजभवन की और से विश्वविद्यालयों को भेजने को लेकर भी विवाद हुआ था, उसे किस रूप में देखते हैं ?

उत्तर- देखिए इसमें विवाद जैसा कुछ था ही नहीं। एक लेखक और प्रकाशन संस्था ने मेरे जीवन पर किताब लिखकर प्रकाशित की। उसके लोकार्पण की अनुमति राजभवन से मांगी गई थी जो हमारे यहां से दे दी गई। पुस्तक के विपणन की व्यावसायिक गतिविधियों में राजभवन की कोई भूमिका और संबद्धता नहीं रही है। यह प्रकाशक और खरीदने वाले के मध्य की जानकारियां हैं।
प्रश्न- राजस्थान में उच्च शिक्षा का स्तर उम्मीद के अनुसार क्यों नहीं बढ़ पा रहा, उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ाने को लेकर आप क्या कर रहे हैं । उच्च शिक्षा में राजभवन का दख़ल भी कम होता दिख रहा है?
उत्तर- कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता मेरी आरम्भ से ही सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। कोविड का समय इस दौरान चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन उच्च शिक्षा में स्तर सुधारने के लिए निरंतर राजभवन से पहल हुई है। विश्वविद्यालयों की निरंतर मोनिटरिंग की गई है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत उच्च शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन के लिए कुलपतियों से तीन दिन निरंतर संवाद किया। राजभवन ने कुलपति संवाद ऑनलाईन बैठक रखी। सभी दीक्षांत समारोह कोविड के बावजूद ऑनलाईन समय पर करवाए गए। कोविड के बावजूद पढ़ाई में कहीं कोई बाधा नहीं आए, यह भी ध्यान रखा। अच्छा कार्य होता है तो उसमें थोड़ा समय लगता है, आप देखिएगा जल्द परिणाम सामने आएंगे।
प्रश्न- आप को कई राज्यों का अनुभव है, राजस्थान की उच्च शिक्षा को आप किस स्तर का मानते हैं ।
उत्ततर- राजस्थान में उच्च शिक्षा का स्तर बेहतर है। अभी बहुत से नए विश्वविद्यालय शुरूआती दौर में है, लेकिन विविध विषयों की पढ़ाई उच्च शिक्षा में यहां हो रही है। सरकारी वित्त पोषित विश्वविद्यालय भी अपने स्तर पर अच्छा प्रयास कर रहे हैं। मैंने आने के बाद विश्वविद्यालयो को निर्देश दिए हैं कि वे अपने यहां रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों को प्राथमिकता दें, पाठ्यक्रम को अपडेट करें। अंग्रेजी के साथ स्थानीय भाषाओ में भी पाठ्यक्रम तैयार किए जाएं।
प्रश्न- आपके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धियां किन्हें मानते हैं?

उत्तर- संविधान जागरूकता के लिए जो प्रयास किए हैं, वे महत्वपूर्ण हैं। पहली बार किसी विधानसभा में अभिभाषण के दौरान संविधान की उद्देशिका और मौलिक कर्तव्यों के वाचन की परम्परा का सूत्रपात हुआ है। विश्वविद्यालयो में संविधान पार्क बनाने की पहल की है। आदिवासी क्षेत्रों में युवाओं को आगे लाने, उन्हें रोजगार दिलाने और वहां स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य सुविधाओ के विस्तार के लिए जिला कलक्टरों से निरंतर संवाद किया है। राज्यपाल राहत कोष के दायरे को बढ़ाया और पहली बार इस कोष से कोविड में मुख्यमंत्री राहत कोष में 2 करोड़ 20 लाख की राशि प्रदान की गई। प्रधानमंत्री कोष में भी सहयोग किया।
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