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केंद्रीय कृषि कानून में राजस्थान सरकार ने किया संशोधन

locationजयपुरPublished: Oct 31, 2020 11:09:14 pm

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020

जयपुर।

कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020

धारा-1
केन्द्रीय अधिनियम: 5 जून 20 लागू माना जाएगा।

राज्य अधिनियम: राज्य के राजपत्र में जो तारीख तय की जाए।
धारा-2
राज्य के अधिनियम में पांच नए शब्द जोड़े गए हैं, जबकि दो शब्दों की परिभाषा बदली गई है।

धारा-5

केन्द्रीय अधिनियम: दर वह होगी, जो करार में तय होगी।
राज्य अधिनियम: कृषि उपज के क्रय—विक्रय का करार न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं होगा।
धारा-7

केन्द्रीय अधिनियम: करार होने पर क्रय—विक्रय में राज्य का अधिनियम लागू नहीं होगा और खरीद के लिए स्टॉक सीमा भी नहीं होगी।
राज्य अधिनियम: कृषि उपज के क्रय—विक्रय पर कृषि उपज मंडी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। फीस, उपकर व प्रभार देने होंगे, जो कृषक कल्याण व मंडी विकास के लिए इस्तेमाल होंगे। फीस, उपकर व प्रभार प्रायोजक को वहन करने होंगे, किसान को नहीं। उपज कम होने या महंगाई बढऩे पर राज्य में स्टॉक सीमा तय की जा सकेगी।
धारा-13

केन्द्रीय अधिनियम: विवाद सुलह बोर्ड तय करेगा और दोनों पक्ष निर्णय मानने को बाध्य होंगे।
राज्य अधिनियम: विवाद मंडी समिति दोनों पक्षों को सुनकर तय करेगी और उसकी अपील निदेशक को की जा सकेगी। इनका निर्णय सिविल कोर्ट की डिक्री की तरह मान्य होगा। कृषि करार की अवधि पूरी होने पर प्रायोजक को अपने श्रमिक या कर्मचारी भूमि से हटाने होंगे, यदि नहीं हटाए जाएंगे तो एक हजार रुपए प्रति बीघा से अधिक क्षतिपूर्ति देनी होगी। मंडी समिति इसके लिए आदेश दे सकेगी और हटाने के लिए पुलिस का सहारा लिया जा सकेगा।
धारा-14

केन्द्रीय अधिनियम: 30 दिन में समझौते से विवाद नहीं होने पर उपखण्ड अधिकारी निर्णय करेगा। प्रायोजक के दोषी होने पर जुर्माना व ब्याज की वसूली होगी, लेकिन किसान से ऐसी वसूली नहीं होगी। उपखण्ड अधिकारी के निर्णय के खिलाफ कलक्टर के पास अपील की जा सकेगी।
राज्य अधिनियम: धारा 14 समाप्त।
धारा-19

केन्द्रीय अधिनियम: सिविल कोर्ट को दखल का अधिकार नहीं।
राज्य अधिनियम: सिविल कोर्ट को सुनवाई का अधिकार।

धारा-20

केन्द्रीय अधिनियम: दो कानूनों में विरोधाभाष होने पर केन्द्रीय अधिनियम ही लागू।
राज्य अधिनियम: दो कानूनों में विरोधाभाष होने पर राज्य अधिनियम ही लागू होगा।
राज्य में यह प्रावधान नए जोडे जाएंगे

धारा-21 क: कृषि उपज मंडी अधिनियम के प्रावधान 5 जून 20 के पहले की तरह ही प्रभावी होंगे। केन्द्रीय अधिनियम के तहत जारी नोटिस निलंबित समझे जाएंगे और राज्य के अधिनियम के विपरीत कोई कार्यवाही नहीं चल सकेगी।
धारा-21 ख: कृषकों का उत्पीडन करने पर 3 से 7 साल तक की सजा और 5 लाख रुपए जुर्माना। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीद होने, सात दिन में माल नहीं उठाने या समय पर भुगतान नहीं करने को उत्पीडन माना जाएगा।
धारा-21 ग: राज्य सरकार को निर्देश जारी करने का अधिकार।

उद्देश्य: किसान, कृषि श्रमिक, फल-सब्जी बेचने वालों में रोष है। केन्द्रीय अधिनियम से न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रावधान निष्प्रभावी हो जाएंगे।
………….

आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020
धारा-1

केन्द्रीय अधिनियम: 5 जून 20 लागू माना जाएगा।
राज्य अधिनियम: राज्य के राजपत्र में जो तारीख तय की जाए।

धारा-3

केन्द्रीय अधिनियम: असाधारण परिस्थिति व कीमत अधिक बढऩे पर अनाज, दाल, आलू, प्याज, तिलहन, तेल की स्टॉक सीमा तय करने का केन्द्र को अधिकार।
राज्य अधिनियम: राज्य को स्टॉक सीमा तय करने की शक्ति।
राज्य को मिलेगा दखल का अधिकार: राज्य को निर्देश जारी करने व नियम बनाने की शक्तियां दिए जाने के लिए धारा-15 जोड़ी जाएगी। इसके अलावा कहीं कानूनों में विरोधाभास होगा, तो राज्य का कानून प्रभावी होगा।
उद्देश्य: संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 2 की प्रविष्टि 27 में माल के उत्पादन व सप्लाई का राज्य का विषय माना गया है। सब्जी, फल सहित कृषि उपज की जमाखोरीं व चोर बाजारी से उपभोक्ताओं को संरक्षण व लिप्त लोगों पर कार्रवाई की जा सकेगी। केन्द्रीय अधिनियम से कार्रवाई में बाधा होगी।
……………

कृ षक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020

धारा-1
केन्द्रीय अधिनियम: 5 जून 20 लागू माना जाएगा।

राज्य अधिनियम: राज्य के राजपत्र में जो तारीख तय की जाए।
धारा-2
राज्य के अधिनियम में पांच नए शब्द जोड़े गए हैं, जबकि दो शब्दों की परिभाषा बदली गई है।

धारा-5

केन्द्रीय अधिनियम: दर वह होगी, जो करार में तय होगी।
राज्य अधिनियम: कृषि उपज के क्रय—विक्रय का करार न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं होगा।
धारा-7

केन्द्रीय अधिनियम: करार होने पर क्रय—विक्रय में राज्य का अधिनियम लागू नहीं होगा और खरीद के लिए स्टॉक सीमा भी नहीं होगी।
राज्य अधिनियम: कृषि उपज के क्रय—विक्रय पर कृषि उपज मंडी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। फीस, उपकर व प्रभार देने होंगे, जो कृषक कल्याण व मंडी विकास के लिए इस्तेमाल होंगे। फीस, उपकर व प्रभार प्रायोजक को वहन करने होंगे, किसान को नहीं। उपज कम होने या महंगाई बढऩे पर राज्य में स्टॉक सीमा तय की जा सकेगी।
धारा-13

केन्द्रीय अधिनियम: विवाद सुलह बोर्ड तय करेगा और दोनों पक्ष निर्णय मानने को बाध्य होंगे।
राज्य अधिनियम: विवाद मंडी समिति दोनों पक्षों को सुनकर तय करेगी और उसकी अपील निदेशक को की जा सकेगी। इनका निर्णय सिविल कोर्ट की डिक्री की तरह मान्य होगा। कृषि करार की अवधि पूरी होने पर प्रायोजक को अपने श्रमिक या कर्मचारी भूमि से हटाने होंगे, यदि नहीं हटाए जाएंगे तो एक हजार रुपए प्रति बीघा से अधिक क्षतिपूर्ति देनी होगी। मंडी समिति इसके लिए आदेश दे सकेगी और हटाने के लिए पुलिस का सहारा लिया जा सकेगा।
धारा-14

केन्द्रीय अधिनियम: 30 दिन में समझौते से विवाद नहीं होने पर उपखण्ड अधिकारी निर्णय करेगा। प्रायोजक के दोषी होने पर जुर्माना व ब्याज की वसूली होगी, लेकिन किसान से ऐसी वसूली नहीं होगी। उपखण्ड अधिकारी के निर्णय के खिलाफ कलक्टर के पास अपील की जा सकेगी।
राज्य अधिनियम: धारा 14 समाप्त।
धारा-19

केन्द्रीय अधिनियम: सिविल कोर्ट को दखल का अधिकार नहीं।
राज्य अधिनियम: सिविल कोर्ट को सुनवाई का अधिकार।

धारा-20

केन्द्रीय अधिनियम: दो कानूनों में विरोधाभाष होने पर केन्द्रीय अधिनियम ही लागू।
राज्य अधिनियम: दो कानूनों में विरोधाभाष होने पर राज्य अधिनियम ही लागू होगा।
राज्य में यह प्रावधान नए जोडे जाएंगे

धारा-21 क: कृषि उपज मंडी अधिनियम के प्रावधान 5 जून 20 के पहले की तरह ही प्रभावी होंगे। केन्द्रीय अधिनियम के तहत जारी नोटिस निलंबित समझे जाएंगे और राज्य के अधिनियम के विपरीत कोई कार्यवाही नहीं चल सकेगी।
धारा-21 ख: कृषकों का उत्पीडन करने पर 3 से 7 साल तक की सजा और 5 लाख रुपए जुर्माना। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीद होने, सात दिन में माल नहीं उठाने या समय पर भुगतान नहीं करने को उत्पीडन माना जाएगा।
धारा-21 ग: राज्य सरकार को निर्देश जारी करने का अधिकार।

उद्देश्य: किसान, कृषि श्रमिक, फल-सब्जी बेचने वालों में रोष है। केन्द्रीय अधिनियम से न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रावधान निष्प्रभावी हो जाएंगे।
………….

आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020
धारा-1

केन्द्रीय अधिनियम: 5 जून 20 लागू माना जाएगा।
राज्य अधिनियम: राज्य के राजपत्र में जो तारीख तय की जाए।

धारा-3

केन्द्रीय अधिनियम: असाधारण परिस्थिति व कीमत अधिक बढऩे पर अनाज, दाल, आलू, प्याज, तिलहन, तेल की स्टॉक सीमा तय करने का केन्द्र को अधिकार।
राज्य अधिनियम: राज्य को स्टॉक सीमा तय करने की शक्ति।
राज्य को मिलेगा दखल का अधिकार: राज्य को निर्देश जारी करने व नियम बनाने की शक्तियां दिए जाने के लिए धारा-15 जोड़ी जाएगी। इसके अलावा कहीं कानूनों में विरोधाभास होगा, तो राज्य का कानून प्रभावी होगा।
उद्देश्य: संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 2 की प्रविष्टि 27 में माल के उत्पादन व सप्लाई का राज्य का विषय माना गया है। सब्जी, फल सहित कृषि उपज की जमाखोरीं व चोर बाजारी से उपभोक्ताओं को संरक्षण व लिप्त लोगों पर कार्रवाई की जा सकेगी। केन्द्रीय अधिनियम से कार्रवाई में बाधा होगी।
……………

सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020

कृषकों व दूध वालों की पांच एकड़ तक की कृषि भूमि कुर्क नहीं की जा सकेगी।

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