वहीं वित्त विभाग के एसीएस डीबी गुप्ता ने बताया कि अभी इसके लिए राजस्थान सर्विस रूल्स में संशोधन करना होगा। कैबिनेट और राज्यपाल की अनुमति के बाद लागू होगा। जिसके मुताबिक जिन डॉक्टर्स की उम्र 62 साल से बढ़ाकर 65 साल की जाएगी, उन्हें 62 साल बाद किसी एडमिनिस्ट्रेटिव पोस्ट पर नहीं लगाया जाएगा। सरकार के डॉक्टर्स की रिटायरमेंट उम्र 62 साल से बढ़ाकर 65 साल करने के फैसले से अनुभवी डॉक्टर्स अब ज्यादा समय तक उपलब्ध होंगे। साथ ही आगामी दिनों में प्रदेश के 61 बड़े विशेषज्ञ और सर्जन रिटायर्ड होने वाले थे, अब वे अगले तीन साल तक लगातार बने रहेंगे। लेकिन अगर फायदे के साथ नुकसान की बात की जाएं तो आयु सीमा 65 होने से भर्ती निकालना मुश्किल होगा। आपको बता दें कि प्रदेश में हर साल 1800 से अधिक सरकारी और निजी एमबीबीएस स्टूडेंट और 1200 पीजी स्टूडेंट पासआउट होते हैं। ऐसे में उन्हें भी नौकरी की जरूरत होती है। इससे उनके लिए भर्ती निकालना मुश्किल होगा और यदि भर्ती निकलती हैं तो उन्हें भविष्य में ग्रोथ नहीं हो पाएगी। ऐसे में संभव है कि वे सरकारी की जगह निजी क्षेत्र का चयन करें। साथ ही पदोन्नति का क्रम रुक जाएगा। जो एसोसिएट प्रोफेसर हैं या सहायक प्रोफेसर हैं, वे उच्च पदों पर नहीं जा पाएंगे।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने देश में डॉक्टर्स की कमी की बात करते हुए इस प्रस्ताव का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम हैं। अवकाश ग्रहण करने की उम्र कहीं 60 वर्ष और कहीं 62 वर्ष है। इसलिए अपने संबोधन में डॉक्टर्स की कमी का जिक्र करते हुए पूरे देश में सरकारी अस्पताल में काम कर रहे डाक्टर्स के अवकाश ग्रहण करने की उम्र 65 वर्ष करने की घोषणा की थी।