केन्द्र सरकार ने गरीबों के लिए अफोर्डेबल आवास को इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल तो कर लिया लेकिन राजस्थान में इसकी स्थिति दयनीय ही रही। कुल 6.50 लाख आवास के लक्ष्य में से अब तक केवल 1.25 लाख आवास का दावा हो पाया है। इनमें भी निजी डवलपर्स के ज्यादातर प्रोजेक्ट में तो निर्माण स्वीकृति ही दी गई है। ऐसे आशियाने बनकर तैयार होने से पहले ही चुनाव सामने होंगे।
चुनाव घोषणा पत्र में से ज्यादातर वादों को सरकार भुला चुकी है और जहां काम शुरू किया वहां भी कछुआ चाल मुंह चिढ़ा रही है। ड्रेनेज, सीवरेज, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग परेशान हैं। धार्मिक स्थल और सर्किलों को हटाने पर सरकार का विवादों से नाता हो गया। इस बीच नगरीय विकास मंत्री की कमान राजपाल सिंह शेखावत से श्रीचंद कृपलानी के पास जरूर आ गई।
आवासों की स्थिति
– 6.34 लाख आवास का लक्ष्य
– 42 हजार आवास को केन्द्र सरकार की सब्सिडी मिली
– 80 हजार आवास-प्लॉट निजी विकासकर्ताओं के READ: वाह री सरकार! राजस्थान की जनता से चुनाव में कर दिया ऐसा वादा जो कभी पूरा ही नहीं हो सकता
– 6.34 लाख आवास का लक्ष्य
– 42 हजार आवास को केन्द्र सरकार की सब्सिडी मिली
– 80 हजार आवास-प्लॉट निजी विकासकर्ताओं के READ: वाह री सरकार! राजस्थान की जनता से चुनाव में कर दिया ऐसा वादा जो कभी पूरा ही नहीं हो सकता
चुनावी घोषणा का यह है हाल
– जल-मल निस्तारण : राज्य का पहला जल-मल संयंत्र लालसोट में 4.70 करोड़ रुपए की लागत से निर्माण की स्वीकृति। इसके अलावा सांभर-फुलेरा नगर पालिका क्षेत्र में भी बनेगा। राष्ट्रीय फीकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन योजना के तहत काम किया जाएगा। जहां सीवरेज लाइन नहीं है, वहां मल का नई और सस्ती तकनीक से निस्तारण हो सकेगा।
– रिंग रोड : जयपुर में ही अनुबंध के 7 साल बाद भी रिंग रोड नहीं बन पाई है। वहीं जोधपुर , कोटा व उदयपुर में भी अब तक कागजी पुलिंदा है। इसी प्रोजेक्ट एरिया में बीआरटीएस कॉरिडोर तो दूर की कौड़ी साबित हो रहा है।
– अपार्टमेंट एक्ट : फ्लैट या आवासीय योजना में प्लॉट खरीदने वालों के लिए केन्द्र का रेरा कानून को राज्य में भी प्रभावी कर दिया गया है। इससे आशियाना खरीदने वालों को सुरक्षा दी गई है और बिल्डरों पर शिकंजा।
– यूजर फ्रैंडली बिल्डिंग बायलॉज : यूजर फ्रैंडली की आड़ में कई ऐसे प्रावधान जोड़ दिए गए, जिससे सुनियोजित विकास की धज्जियां उड़ेंगी। बेतरतीब तरीके से बसे इलाकों और कच्ची बस्ती क्षेत्रों में नियमित करने की तैयारी। ऐसे इलाकों में 6 मीटर यानी 20 फीट से भी कम चौड़ी सड़क निर्माण की अधिकारिक तौर पर अनुमति दे दी जाएगी। वहीं 30 फीट सड़क पर बनी दुकानों, कॉमर्शियल गतिविधियों को भी वैध करने की छूट दे दी।
– वर्टिकल डवलपमेंट : बेतरतीब बसावट की बहुमंजिला इमारतों को बढ़ावा देने का काम शुरू हो गया है। एकीकृत बिल्डिंग बायलॉज में इसके प्रावधान किए गए हैं। इसके लिए बिल्डरों को मौजूदा सड़क चौड़ाई पर ज्यादा ऊंची इमारत बनाने की अनुमति दी गई है। इससे लोगों को सुविधाओं के बीच आशियाना मिलने की उम्मीद।
– पीआरएन, लालकोठी योजना : पृथ्वीराज नगर (पीआरएन) में बेतरतीब तरीके से नियमितीकरण कर दिया। जबकि लालकोठी योजना का विवाद तो अब भी उलझा हुआ है।
– पर्यटन डवलपमेंट : रोप-वे, स्नोवल्र्ड, म्यूजिकल फाउण्टेन, हैरिटेज वॉक जैसी सुविधा कुछ शहरों तक ही सीमित, बाकी महरूम।
– कन्वेंशन सेंटर : संभाग स्तर पर बड़ा कन्वेंशन सेंटर का सपना अधूरा है।
– खेल मैदान : खेल मैदान विकसित करना तो दूर मौजूदा पार्कों को उजाडऩे पर तुली सरकार।
– एक लाख जनसंख्या वाले शहरों में नगर सुधार न्यास : कागजी पुलिंदा भी तैयार नहीं हो सका।
– पशुपालकों के लिए गोकुल गांव : घोषणा पत्र तक सीमित।
– भूमिगत ड्रेनेज : हर निकाय-न्यास का अधूरा काम। जयपुर में ड्रेनेज मास्टर प्लान भी दिखावटी साबित हुआ। सुनियोजित ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से बारिश में सड़कें लबालब।
– धरोहर सौंदर्यकरण-पुनरुद्धार : सांस्कृतिक धरोहर व पुरातत्व महत्व के भवन-इमारतों में काम चल रहा है।
– राजस्थान में अग्निशमन सेवा : अग्निशमन सेवा को सुदृढ़ करने के लिए करीब 1 दर्जन निकायों मेंं भर्ती की गई। कई निकायों में अग्निशमन सेवा केन्द्र भी बनाने की स्वीकृति।
– गोदामों का स्थानांतरण : शहरी क्षेत्रों के पुराने इलाकों में असुरक्षित ढंग से संचालित हो रहे गोदाम, थोक विक्रेताओं को अन्य सुरक्षित जगह स्थानांतरित करने का दावा केवल कागजी साबित हुआ। जयपुर में ही पुरोहितजी का कटला सहित कई व्यापारिक जगह।
– आईटी : जयपुर में सर्विलांस कैमरों व सूचना प्रौद्योगिकी की अन्य तकनीक पर काम हुआ। जगह-जगह कैमरे लगाने और जेडीए में मॉनिटरिंग सेंटर बनने से सुरक्षित माहौल।
– आरओबी, फ्लोईओवर, अण्डरपास, पार्किंग : यातायात समस्या से निपटने के लिए दुर्गापुरा व अजमेर रोड एलीवेटेड रोड, खिरणी फाटक व दादी का फाटक के पास आरओबी का निर्माण हुआ। अन्य शहरों में कुछ जगह फ्लोओवर-अण्डरपास बने लेकिन अपेक्षाकृत काफी कम। जो हैं, वे निर्माणाधीन हैं।
– सॉलिडवेस्ट मैनेजमेंट : कचरे के संग्रहण पर राजधानी में काम शुरू, लेकिन निस्तारण के लिए प्रभावी काम नहीं।
– जल-मल निस्तारण : राज्य का पहला जल-मल संयंत्र लालसोट में 4.70 करोड़ रुपए की लागत से निर्माण की स्वीकृति। इसके अलावा सांभर-फुलेरा नगर पालिका क्षेत्र में भी बनेगा। राष्ट्रीय फीकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन योजना के तहत काम किया जाएगा। जहां सीवरेज लाइन नहीं है, वहां मल का नई और सस्ती तकनीक से निस्तारण हो सकेगा।
– रिंग रोड : जयपुर में ही अनुबंध के 7 साल बाद भी रिंग रोड नहीं बन पाई है। वहीं जोधपुर , कोटा व उदयपुर में भी अब तक कागजी पुलिंदा है। इसी प्रोजेक्ट एरिया में बीआरटीएस कॉरिडोर तो दूर की कौड़ी साबित हो रहा है।
– अपार्टमेंट एक्ट : फ्लैट या आवासीय योजना में प्लॉट खरीदने वालों के लिए केन्द्र का रेरा कानून को राज्य में भी प्रभावी कर दिया गया है। इससे आशियाना खरीदने वालों को सुरक्षा दी गई है और बिल्डरों पर शिकंजा।
– यूजर फ्रैंडली बिल्डिंग बायलॉज : यूजर फ्रैंडली की आड़ में कई ऐसे प्रावधान जोड़ दिए गए, जिससे सुनियोजित विकास की धज्जियां उड़ेंगी। बेतरतीब तरीके से बसे इलाकों और कच्ची बस्ती क्षेत्रों में नियमित करने की तैयारी। ऐसे इलाकों में 6 मीटर यानी 20 फीट से भी कम चौड़ी सड़क निर्माण की अधिकारिक तौर पर अनुमति दे दी जाएगी। वहीं 30 फीट सड़क पर बनी दुकानों, कॉमर्शियल गतिविधियों को भी वैध करने की छूट दे दी।
– वर्टिकल डवलपमेंट : बेतरतीब बसावट की बहुमंजिला इमारतों को बढ़ावा देने का काम शुरू हो गया है। एकीकृत बिल्डिंग बायलॉज में इसके प्रावधान किए गए हैं। इसके लिए बिल्डरों को मौजूदा सड़क चौड़ाई पर ज्यादा ऊंची इमारत बनाने की अनुमति दी गई है। इससे लोगों को सुविधाओं के बीच आशियाना मिलने की उम्मीद।
– पीआरएन, लालकोठी योजना : पृथ्वीराज नगर (पीआरएन) में बेतरतीब तरीके से नियमितीकरण कर दिया। जबकि लालकोठी योजना का विवाद तो अब भी उलझा हुआ है।
– पर्यटन डवलपमेंट : रोप-वे, स्नोवल्र्ड, म्यूजिकल फाउण्टेन, हैरिटेज वॉक जैसी सुविधा कुछ शहरों तक ही सीमित, बाकी महरूम।
– कन्वेंशन सेंटर : संभाग स्तर पर बड़ा कन्वेंशन सेंटर का सपना अधूरा है।
– खेल मैदान : खेल मैदान विकसित करना तो दूर मौजूदा पार्कों को उजाडऩे पर तुली सरकार।
– एक लाख जनसंख्या वाले शहरों में नगर सुधार न्यास : कागजी पुलिंदा भी तैयार नहीं हो सका।
– पशुपालकों के लिए गोकुल गांव : घोषणा पत्र तक सीमित।
– भूमिगत ड्रेनेज : हर निकाय-न्यास का अधूरा काम। जयपुर में ड्रेनेज मास्टर प्लान भी दिखावटी साबित हुआ। सुनियोजित ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से बारिश में सड़कें लबालब।
– धरोहर सौंदर्यकरण-पुनरुद्धार : सांस्कृतिक धरोहर व पुरातत्व महत्व के भवन-इमारतों में काम चल रहा है।
– राजस्थान में अग्निशमन सेवा : अग्निशमन सेवा को सुदृढ़ करने के लिए करीब 1 दर्जन निकायों मेंं भर्ती की गई। कई निकायों में अग्निशमन सेवा केन्द्र भी बनाने की स्वीकृति।
– गोदामों का स्थानांतरण : शहरी क्षेत्रों के पुराने इलाकों में असुरक्षित ढंग से संचालित हो रहे गोदाम, थोक विक्रेताओं को अन्य सुरक्षित जगह स्थानांतरित करने का दावा केवल कागजी साबित हुआ। जयपुर में ही पुरोहितजी का कटला सहित कई व्यापारिक जगह।
– आईटी : जयपुर में सर्विलांस कैमरों व सूचना प्रौद्योगिकी की अन्य तकनीक पर काम हुआ। जगह-जगह कैमरे लगाने और जेडीए में मॉनिटरिंग सेंटर बनने से सुरक्षित माहौल।
– आरओबी, फ्लोईओवर, अण्डरपास, पार्किंग : यातायात समस्या से निपटने के लिए दुर्गापुरा व अजमेर रोड एलीवेटेड रोड, खिरणी फाटक व दादी का फाटक के पास आरओबी का निर्माण हुआ। अन्य शहरों में कुछ जगह फ्लोओवर-अण्डरपास बने लेकिन अपेक्षाकृत काफी कम। जो हैं, वे निर्माणाधीन हैं।
– सॉलिडवेस्ट मैनेजमेंट : कचरे के संग्रहण पर राजधानी में काम शुरू, लेकिन निस्तारण के लिए प्रभावी काम नहीं।
READ: राजस्थान सरकार के कार्यकाल के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में अब अधिकारी करेंगे कुछ ऐसा… गिनाने के लिए यह विकास
– अन्नपूर्णा रसोई : गरीबों के लिए अन्नपूर्णा रसोई शुरू की गई, जिसे हरियाणा सरकार ने भी अपनाया। राज्य के 44 शहरों में 154 चलित अन्नपूर्णा रसोई संचालित हो रही है। इसके लिए सरकार करीब 23 करोड़ रुपए हर माह खर्च कर रही है। 5 रुपए में नाश्ता व 8 रुपए में खाना उपलब्ध। सभी 191 निकायों में फैलाने का प्लान।
– द्रव्यवती नदी : राजधानी में 47 किलोमीटर लम्बी नदी (अमानीशाह नाला) का 1682 करोड़ रुपए से सौन्दर्यकरण व रखरखाव होगा। सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना में शामिल, जिसके लिए कई नियम दरकिनाकर कर दिए गए।
– दुर्गापुरा एलीवेटेड रोड : जयपुर में दुर्गापुरा एलीवेटेड रोड का काम 8 वर्ष बाद पूरा कराया गया। यह प्रोजेक्ट पिछली भाजपा व पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार दोनों के लिए गले की हड्डी बना रहा।
– घर-घर कचरा संग्रहण : कई बार फेल हो चुके घर-घर कचरा संग्रहण प्रोजेक्ट को राजधानी में लागू कराया। इससे सुविधा तो बनी लेकिन कंपनी की मनमानी और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से अपेक्षित परिणाम नहीं आए।
– कचरा पात्र : हर दुकान पर कचरा पात्र नजर आने का श्रेय जयपुर नगर निगम को जाता है। सरकार ने इसी तर्ज पर सभी निकायों को काम करने के निर्देश दिए। वहीं प्रतिबंधित पॉलीथिन रोकथाम के लिए बड़ी पैनल्टी।
– अन्नपूर्णा रसोई : गरीबों के लिए अन्नपूर्णा रसोई शुरू की गई, जिसे हरियाणा सरकार ने भी अपनाया। राज्य के 44 शहरों में 154 चलित अन्नपूर्णा रसोई संचालित हो रही है। इसके लिए सरकार करीब 23 करोड़ रुपए हर माह खर्च कर रही है। 5 रुपए में नाश्ता व 8 रुपए में खाना उपलब्ध। सभी 191 निकायों में फैलाने का प्लान।
– द्रव्यवती नदी : राजधानी में 47 किलोमीटर लम्बी नदी (अमानीशाह नाला) का 1682 करोड़ रुपए से सौन्दर्यकरण व रखरखाव होगा। सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना में शामिल, जिसके लिए कई नियम दरकिनाकर कर दिए गए।
– दुर्गापुरा एलीवेटेड रोड : जयपुर में दुर्गापुरा एलीवेटेड रोड का काम 8 वर्ष बाद पूरा कराया गया। यह प्रोजेक्ट पिछली भाजपा व पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार दोनों के लिए गले की हड्डी बना रहा।
– घर-घर कचरा संग्रहण : कई बार फेल हो चुके घर-घर कचरा संग्रहण प्रोजेक्ट को राजधानी में लागू कराया। इससे सुविधा तो बनी लेकिन कंपनी की मनमानी और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से अपेक्षित परिणाम नहीं आए।
– कचरा पात्र : हर दुकान पर कचरा पात्र नजर आने का श्रेय जयपुर नगर निगम को जाता है। सरकार ने इसी तर्ज पर सभी निकायों को काम करने के निर्देश दिए। वहीं प्रतिबंधित पॉलीथिन रोकथाम के लिए बड़ी पैनल्टी।
”सरकार ने गरीब से लेकर हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए विकास की गंगा बहाई है। जरूरतमंदों के लिए आशियाने हों या गरीब के लिए दोनों वक्त की रोटी, सभी का बंदोबस्त करने का बड़ा काम किया गया। स्वच्छता आज हर बच्चे की जुबान पर है। बिल्डिंग बायलॉज सरल बनाए, जिससे आमजन के साथ विकासकर्ताओं का काम भी आसान हुआ। जन कल्याण शिविरों के जरिए लाखों लोगों को पट्टे दिए गए। पिछली कांग्रेस सरकार में ढिंढोरा ज्यादा पीटा गया, धरातल पर कुछ नहीं हुआ।”
– श्रीचंद कृपलानी, नगरीय विकास मंत्री
”सरकार का ध्यान केवल शिलान्यास करने तक सीमित है। ऐसे प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए आर्थिक प्रबंधन तक नहीं किया गया। सबसे मजबूत जयपुर विकास प्राधिकरण को कंगाली तक पहुंचा दिया गया। उधारी से विकास कब तक होगा? अफोर्डेबल आवास की कांग्रेस सरकार की बेहतर पॉलिसी को बर्बाद कर दिया गया। खुद को बेहतर साबित करने के फेर में जनता से सुविधाएं छीनी जाती रहीं। सफाई, शौचालय, स्मार्ट सिटी सभी दिखावा हैं। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं और अफसर-नेता फोटो खिंचवाने में मशगूल हैं। इसी कारण ढांचागत विकास का पिलर खोखला हो रहा है। ”- शांति धारीवाल, पूर्व नगरीय विकास मंत्री
एक्सपर्ट कमेंट…..
– एचएस आजाद, वरिष्ठ नगर नियोजक
राजस्थान में ऐसा कोई बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं आया, जिससे तस्वीर बदली हो। रिफाइनरी प्रोजेक्ट पहले ही देर से चल रहा है। रिंग रोड को एनएचएआई के पास जाने से रोका नहीं जा सका। कोटा, जोधपुर, उदयपुर में रिंग रोड के धरातल पर आने का फिलहाल कोई इंतजाम नहीं है। कोटा में हर वर्ष 1.75 लाख विद्यार्थी पढऩे जाते हैं लेकिन केवल 9 सीटर छोटी हवाई यात्रा शुरू कर पीठ थपथपाने की मास्टर प्लान की जो हालत इस सरकार में हुई है, वह किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में मास्टर प्लान बनाते ही नहीं तो बेहतर था। शहरों का बर्बाद किया जा रहा है।
– एचएस आजाद, वरिष्ठ नगर नियोजक
राजस्थान में ऐसा कोई बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं आया, जिससे तस्वीर बदली हो। रिफाइनरी प्रोजेक्ट पहले ही देर से चल रहा है। रिंग रोड को एनएचएआई के पास जाने से रोका नहीं जा सका। कोटा, जोधपुर, उदयपुर में रिंग रोड के धरातल पर आने का फिलहाल कोई इंतजाम नहीं है। कोटा में हर वर्ष 1.75 लाख विद्यार्थी पढऩे जाते हैं लेकिन केवल 9 सीटर छोटी हवाई यात्रा शुरू कर पीठ थपथपाने की मास्टर प्लान की जो हालत इस सरकार में हुई है, वह किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में मास्टर प्लान बनाते ही नहीं तो बेहतर था। शहरों का बर्बाद किया जा रहा है।