राजस्थान पंचायतराज नियम 1996 के नियम 27 से 30 के अनुसार प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पंचायतराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को देय मानदेय की दरों में संशोधन किया गया है। इस संशोधन के बाद अब प्रदेश के प्रत्येक जिला प्रमुख को हर माह दस हजार रुपए मानदेय दिया जाएगा। अब तक यह राशि नौ हजार रुपए ही थी।
प्रदेश की विभिन्न पंचायत समितियों के प्रधानों को अब प्रति माह मानदेय के तौर पर सात हजार रुपए दिए जाएंगे। अब तक छह हजार रुपए ही दिए जाते थे। इसी तरह ग्राम पंचायतों के सरपंचों को भी अब हर माह चार हजार रुपए का मानदेय दिया जाएगा।सरपंचों को अब तक हर माह साढे तीन हजार रुपए ही मानदेय दिया जाता था।
सरकार ने इस संशोधन के जरिए जिला प्रमुखों व प्रधानों के मानदेय में एक-एक हजार रुपए तथा सरपंचों के मानदेय में पांच सौ रुपए की बढ़ोतरी की है।
इधर कोर्ट ने कहा- शिक्षाधिकारियों को क्यों नहीं किया डीपीसी में शामिल?
हाईकोर्ट ने पॉलीटेक्निक कॉलेज प्रिंसिपल पदोन्नति के लिए केरियर एडवांसमेंट स्कीम का लाभ लेने वाले शिक्षाधिकारियों को डीपीसी में शामिल नहीं करने पर प्रमुख तकनीकी शिक्षा सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव और तकनीकी शिक्षा निदेशक से जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ताओं को डीपीसी में शामिल करने के आदेश भी दिए हैं।
इधर कोर्ट ने कहा- शिक्षाधिकारियों को क्यों नहीं किया डीपीसी में शामिल?
हाईकोर्ट ने पॉलीटेक्निक कॉलेज प्रिंसिपल पदोन्नति के लिए केरियर एडवांसमेंट स्कीम का लाभ लेने वाले शिक्षाधिकारियों को डीपीसी में शामिल नहीं करने पर प्रमुख तकनीकी शिक्षा सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव और तकनीकी शिक्षा निदेशक से जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ताओं को डीपीसी में शामिल करने के आदेश भी दिए हैं।
न्यायाधीश वीएस सिराधना ने विनोद जांगिड़ व अन्य की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया है। प्रार्थीपक्ष की ओर से कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता पॉलीटेक्निक कॉलेज में कार्यरत हैं। तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने 5 मई को केरियर एडवांसमेंट स्कीम का लाभ लेने वालों को प्रिंसिपल पद के लिए पात्र मानने से इनकार कर दिया।
याचिका में कहा कि याचिकाकर्ता इस स्कीम का लाभ ले चुके हैं, लेकिन राजस्थान तकनीकी शिक्षा सेवा नियम 2010 में सीएएस का लाभ लेने वालों प्रिंसिपल पद के लिए अपात्र मानने का प्रावधान ही नहीं है। तकनीकी शिक्षा निदेशालय का आदेश अवैध है।