देवनानी ने कहा कि गत भाजपा सरकार में शिक्षा क्षेत्र में कई नवाचार हुए। इन नवाचारों के चलते ही कभी शिक्षा के मामले में बीमारू राज्य के रूप में पहचाना जाने वाले राजस्थान ने शिक्षा में टाॅप तीन प्रदेशों में स्थान पाया, लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही एक के बाद एक इन नवाचारों पर कैंची चलाई। सरकार ने पाठयक्रम में मनमाने ढंग से काटछांट कर महापुरुषों का अपमान करने का दुस्साहस किया। स्कूलों में योग अभ्यास और भारत माता का वंदन ‘वंदे मातरम’ का नियमित वाचन बंद कराया। विद्यालयों में पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम का जन्म दिवस विद्यार्थी दिवस के रूप मनाने पर रोक लगा दी। कोरोना महामारी की आड़ में नित नए बेतुके आदेश निकाल राष्ट्र निर्माता शिक्षकों को अपमानित किया गया। इस दौरान शिक्षकों की ड्यूटी मरीजों के मनोरंजन जैसे ऐसे ऐसे कार्यों मे लगाई गई जिसका शिक्षकों के मूल कार्यो से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं। केवल कागजों में दो साल की उपलब्धियां दौड़ रही हैं। धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। सरकार के दो साल के कार्यकाल और उसकी कार्यशैली से प्रदेश के विद्यार्थी और अभिभावक दोनों त्रस्त है।
अभी तक नहीं मिली पुस्तकें देवनानी ने कहा कि राजकीय विद्यालयों में अब तक पुस्तकें नहीं पहुंची है। सरकार द्वारा वर्तमान सत्र का कोई फैसला नहीं हुआ है जिसके चलते विद्यार्थी और अभिभावक दोनों को परेशानी का सामना करना पड रहा है। विद्यार्थी लैपटाॅप और साइकिलें मिलने के इंतजार में है। सरकार ने स्कूलों की फीस निर्धारण को लेकर कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है। भाजपा सरकार में शुरू स्कूलों के बच्चों को दूध पिलाने की योजना को बंद करने को लेकर कांग्रेस सरकार आमाद है। देवनानी ने कहा कि इतना होने के बाद भी शिक्षा मंत्री अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।