यों दी वित्तीय अनुशासन बनाए रखने की नसीहत– स्वीकृत बजट (
Budget ) प्रावधानों की सीमा में ही बजट खर्च करने की अनुमति होगी। – वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बजट का आवंटन निर्धारित माध्यम से ही उपलब्ध कराया जाए।
– विभागों के खातों से तब ही पैसा निकाला जाए, जब भुगतान करने की आवश्यकता हो। – बजट को लैप्स होने से बचाने के लिए निधियों को खातों में जमा नहीं कराया जाए।
– बजट घोषणाओं, मुख्यमंत्री की बजट घोषणाओं के अलावा सभी प्रकार के नवीन पदों के सृजन पर पूरी तरह से रोक। – 1 अप्रेल 2019 के बाद सेवानिवृत्ति से रिक्त पदों, बजट घोषणाओं, नव सृजित पदों पर नियुक्ति के लिए वित्त व कार्मिक विभाग की अनुमति जरूरी नहीं होगी। विभाग अपने स्तर पर भर्तियों के प्रस्ताव तैयार करेंगे और रिक्त पदों के लिए जरूरत के अनुसार कार्मिक उपलब्ध कराएंगे।
– मृतक राज्य कर्मचारियों की नियुक्तियों के मामले, विशेष योग्यजन के लिए सेवा नियमों के अनुसार आरक्षित पदों पर नियुक्ति के लिए वित्त व कार्मिक विभाग की अनुमति नहीं लेनी होगी। – मुख्यमंत्री की बजट घोषणाओं, वित्त विभाग से अनुमोदित, न्यायालय के आदेशों की क्रियान्वित के अलावा नए वित्तीय दायित्व सजित करने पर रोक
– राजकीय भवनों के निर्माण कार्य, परिवर्धन तथा भवन मरम्मत कार्य सार्वजनिक निर्माण विभाग के परिपत्र के अनुसार होंगे। – वित्त विभाग की ओर से जारी दिशा-निर्देश सभी बोर्ड-निगमों, समस्त विश्वविद्यालयों और अनुदानित संस्थाओं पर लागू होंगे।
– वित्त विभाग की ओर से जारी परिपत्र राजभवन, राजस्थान उच्च न्यायालय, राज्य निर्वाचन आयोग, विधानसभा और राजस्थान लोकसभा आयोग पर प्रभावी नहीं होगा।
परिपत्र में नया कुछ नहीं है। वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए वित्त विभाग की ओर से विभागों को समय-समय पर परिपत्र जारी किए जाते हैं। परिपत्र में न तो विदेश यात्रा पर रोक है और न नए वाहनों की खरीद पर। नई भर्तियों और पदों के सृजन की मंजूरी पहले भी मुख्यमंत्री के स्तर पर होती थी और अब भी होगी।
– निरंजन आर्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त विभाग