शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला ने सोमवार को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का दसवीं कक्षा का परिणाम जारी करने के दौरान शिक्षा संकुल में यह स्वीकार किया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ऑनलाइन आवेदन के आधार पर पहले तबादले किए जा चुके हैं। अब इसकी जरूरत नहीं है। हमारे पास समय-समय पर परिवेदनाएं आती रहती हैं। इन परिवेदनाओं के आधार पर ही तबादले किए जाएंगे।
यानी लौट आया ‘डिजायर’ राज! मंत्री के बयान को सही माने तो विभाग फिर कई वर्षों पुरानी उसी परिपाटी पर पहुंच गया है, जहां अधिकतर शिक्षक और कर्मचारी विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों की ‘डिजायर’ लिखवाते थे और उसी आधार पर सरकार तबादलों का निर्णय करती थी।
नीति में कैसे बढ़ता ‘रुतबा’
प्रदेश में राजनीतिक उठापटक और राज्यसभा चुनाव के दौरान हुई ‘मनुहार’ के बीच अचानक सरकार ने तबादले खोले तो इसे सीधे तौर पर विधायकों को साधने का तरीका माना गया। अब शिक्षा विभाग के ताजा रुख के बाद जानकारों का कहना है कि इससे स्पष्ट हो गया है कि यह सियासी समीकरणों को साधने का तरीका होगा। अब विधायक ‘रुतबा’ बढ़ाने के लिए अपने हिसाब से मंत्रियों को सिफारिश भेज सकेंगे। जबकि नीति जारी हो जाती तो डिजायर पर निर्णय नहीं हो पाता।
तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले जिले में ही तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर कल्ला ने कहा कि इनके तबादले जिले के भीतर ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर किए जाएंगे। एक जिले से दूसरे जिले में तबादले नहीं किए जाएंगे। तृतीय श्रेणी शिक्षकों के अंतर जिला स्थानान्तरण, तबादला नीति आने के बाद ही किए जाएंगे।
18 हजार शिक्षकों के तबादले, 85 हजार कतार में शिक्षा विभाग में कई वर्षों से शिक्षकों से तबादले के आवेदन ऑनलाइन ही लिए जा रहे थे। वर्तमान सरकार ने प्रथम व द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के करीब 18 हजार तबादले किए हैं। पिछली बार सरकार ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन मांगे, मगर तबादले नहीं किए गए। पूरे प्रदेश से 85 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के आवेदन आज भी लंबित हैं।
14 महीने से अटका नीति का प्रारूप राज्य सरकार ने बीते वर्ष मार्च माह में ही नई तबादला नीति का प्रारूप तैयार कर लिया था, लेकिन 14 महीने के अंतराल के बाद भी यह प्रारूप केबिनेट से पारित नहीं हो पाया है। इसी बीच सरकार ने राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले तबादलों से प्रतिबंध हटा दिया। इतना ही नहीं, वोटिंग से ठीक एक-दो दिन पहले शिक्षा विभाग समेत कई विभागों में कुछ तबादले भी किए गए।
आया था भ्रष्टाचार का जिक्र पिछली बार भी जब बिना नीति तबादले खोले गए तो इनमें भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। खुद मुख्यमंत्री के सामने भी शिक्षा विभाग के एक कार्यक्रम में तबादलों में पैसे के लेन-देन का जिक्र हुआ था।