पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा एक्टिव मोड पर आ गई है। सरकार का एक साल पूरा होने के साथ ही भाजपा ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए है। पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने आज प्रेस वार्ता में कहा कि पंचायतों के पुनर्गठन को इस सरकार ने मखौल बना दिया है। 2011 की जनगणना के आधार पर 2014 में पुनर्गठन हो चुका था। इसी के आधार पर 10 वर्ष तक चुनाव होते हैं। अब केवल राजनीतिक आधार पर पुनर्गठन किया गया।
वादे भूली सरकार चतुर्वेदी ने कहा कि चुनाव के दौरान कांग्रेस ने कुछ वादे किए थे। किसानों की ऋणमापफी का वादा नारा बनकर रह गया। बेरोजगारी भत्तों की बात की जाए तो 3000 कर दिया गया और यह राशि भी बेरोजगारों के खाते में यह राशि नहीं पहुंची है। चतुर्वेदी ने सरकार को किसान, गांव और युवा विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि 14वें वित्त अयोग की ओर से 1840 करोड़ रुपए राज्य सरकार को भेजा गया लेकिन सरकार ने यह पैसा अपने पास रोक लिया। एक पैसा भी पंचायतों को एक साल में नहीं भेजा।
इनका मकसद केवल जीतना चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा चुनाव के लिए तैयार है। मगर कांग्रेस सरकार का मकसद केवल जीत दर्ज करना है। पूर्ववर्ती सरकार ने शैक्षणिक योग्यता के विषय को पंचायत राज के नियमों में शामिल किया था। ताकि शिक्षित वर्ग निकलर आए। डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया में अगर शिक्षित वर्ग नहीं पहुंचेगा तो काम प्रभावित होगा। केवल राजनीतिक लाभ के लिए कांग्रेस ने शैक्षणिक योग्यता को खत्म किया गया। इस सरकार का उद्देश्य है कि हम कैसे भी चुनाव जीते, ताकि किसी भी वर्ग को यह आदेश प्रभावित करता हो।
फ्यूल चार्ज के नाम पर बढ़ाई दरें चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि विद्युत दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जएगी। लेकिन पहले फ्यूल चार्ज के नाम 55 और अब चार दिन पहले 9 पैसे फ्यूल चार्ज की बढ़ोतरी करके आर्थिक भार डाला गया है। यही नहीं बैकलॉग निकालकर भी आर्थिक भार डालने की तैयारी की जा रही है।