यह दर पहले वर्ष की है, जिस पर खर्चा ज्यादा होता है। इसके बाद बिजली उत्पादन दर और भी कम होने की संभावना जताई गई है। प्रोजेक्ट लगात 925 करोड़ रुपए आंकी गई है। इसके लिए हर साल एक मिलियन मीट्रिक टन लिग्नाइट उपयोग होगा। गुढ़ा वेस्ट में 10 लाख प्रतिटन लिग्नाइट उत्पादन क्षमता की खदान है, जो अभी राजस्थान राज्य माइंस व मिनरल के पास है।
इस तरह किया आकलन
कैपेसिटी चार्ज 2.46 रुपए प्रति यूनिट
वेरिएबल चार्ज 1.33 रुपए प्रति यूनिट
कुल चार्ज 3.79 रुपए प्रति यूनिट
(पहले वर्ष के आधार पर शुल्क)
ये 4 विकल्प, दो में 45 पैसे यूनिट तक सस्ती बिजली की संभावना..
1. राज्य विद्युत उत्पादन निगम खुद संचालन करता है तो 20 प्रतिशत इक्विटी राज्य सरकार से लेने की जरूरत होगी। यह राशि करीब 190 करोड़ रुपए होगी। यदि खदान को उत्पादन निगम को हस्तांतरित की दी जाती है तो मुआवजा सेस की बचत होगी। इससे बिजली 40 पैसे प्रति यूनिट तक सस्ती की संभावना।
2. राज्य विद्युत उत्पादन निगम जॉइंट वेंचर के रूप में संचालन करने का विकल्प खुला रखा गया है। इसमें जॉइंट वेंचर कंपनी का गठन होगा। लिग्नाइट की माइन्स इसी कंपनी को ट्रांसफर की जाएगी। 20 प्रतिशत इक्विटी राज्य सरकार से लेने की जरूरत होगी। इससे भी 40-45 पैसे प्रति यूनिट तक सस्ती बिजली संभावित।
3. विद्युत उत्पादन निगम संचालन के लिए एक ऑपरेटर को जिम्मेदारी दे। इसमें ऑपरेटर को ही माइन्स से खनन कार्य और बिजली उत्पादन करना होगा। डीबीएफओओ (डिजाइन, निर्माण, वित्तीय प्रबंधन, स्वामित्व और संचालन) प्रावधान के तहत संचालन। इसमें उत्पादन निगम सरकार स्तर पर किसी तरह की इक्विटी का हकदार नहीं होगा।
4. राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स लिमिटेड (आरएसएमएमएल) और राज्य विद्युत उत्पादन निगम संयुक्त रूप से संचालन करे।
यूं चला मामला..
-ऊर्जा मंत्री ने 16 अप्रेल को पत्र लिखकर गुढा में लिग्नाइट आधारित प्लांट लगाने की जरूरत जताई। इसके लिए आरएसएमएमएल को आवंटित माइन्स का उपयोग करने के लिए कहा गया।
-ऊर्जा विभाग के तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में 4 जून 2021 को बैठक हुई। इसमें नए पावर प्लांट के लिए जमीन चिह्नीकरण, प्लांट लगाने की संभावना तलाशने, और संचालनकर्ता के लिए बेहतर विकल्प तलाशने के निर्देश दिए।
-राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स लिमिटेड के वरिष्ठ प्रबंधक और विद्युत उत्पादन निगम के अतिरिक्त मुख्य अभियंता ने मौका देखा।