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किसानों की खुदकुशी पर सियासत! अब ये क्या बोल गए राजस्थान के गृहमंत्री

locationजयपुरPublished: Apr 26, 2018 02:03:40 pm

Submitted by:

dinesh

भाजपा में योग्य नेताओं की संख्या अधिक होने से प्रदेशाध्यक्ष चुनने में देरी हो रही है…

gulab chand kataria

Gulab CHand katariya

जयपुर। गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने स्वीकार किया है कि भाजपा राज में किसानो ने आत्महत्या की, कांग्रेस राज में नहीं। 2015 में तीन किसानों ने फसल खराबे से परेशान होकर आत्महत्या की थी। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस मामले में कांग्रेस के आरोप में कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि आज भी एक किसान की आत्महत्या की जानकारी सामने आई है। उसके भाई ने मृतक किसान के कर्ज से दबे होने का आरोप लगाया है। पुलिस इसका सत्यापन कर रही है। कटारिया ने कहा कि आत्महत्या तब कहा जाता है, जबकि कोई सुसाइड नोट जैसा सबूत हो। हां यह जरूर है कि 2015 में ओलावृष्टि आदि से हुए नुकसान के चलते 3 किसानों ने आत्महत्या की थी। नीति आयोग की रिपोर्ट में राजस्थान की खराब हालत पर कटारिया ने सरकार का बचाव किया और कहा कि केन्द्र से कई योजनाओं पर राज्य को पुरस्कार मिले हैं।
योग्य नेता ज्यादा, इसलिए देर
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी पर कटारिया ने कहा कि पार्टी को तय करना है, वो कर दिया जाएगा। वैसे भी भाजपा में योग्य नेताओं की संख्या अधिक होने से प्रदेशाध्यक्ष चुनने में देरी हो रही है।
पायलट का पलटवार, स्वीकारने में लगे 5 साल
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि प्रदेश में लगातार सरकार की अनदेखी से व्यथित होकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं। लेकिन राज्य के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में स्वीकारा है कि प्रदेश में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। पायलट ने कहा कि भाजपा राज में अब तक लगभग 100 किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन गृहमंत्री ने तीन आत्महत्याओं को ही स्वीकारा है। मंगलवार को फिर एक किसान ने लहसुन की फसल का लागत जितना मूल्य भी नहीं मिलने पर जीवनलीला समाप्त कर ली है। दो किसानों की मौत के बाद सरकार कह रही है कि लहसुन की खरीद शुरू की जाएगी, जो बताता है कि जब तक किसान अपनी जान न दें तब तक सरकार की नींद नहीं खुलती। सरकार कर्जे में डूबे किसानों के ऋण माफ करने की घोषणा भी चुनावी वर्ष में लेकर आई है, ताकि किसानों को भ्रमित कर वोट लिया जा सके।
सरकार की अनदेखी
सरकार किसानों की आत्महत्याओं की भी अनदेखी कर रही है। कुछ दिनों पूर्व ही लहसुन की फसल की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान ने परेशान होकर बारां में आत्महत्या कर ली थी।
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