टीटी ने प्रतापगढ़ का भी मामला उठाया। उन्होंने कहा कि प्रतापगढ़ में भी चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइमस्टोन की खान को मार्बल का बताया गया। इस खान में अन्य मिनरल्स भी मिले थे। इस पर सरकार ने 4 सदस्यों की एक कमेटी बनाई। कमेटी ने भी माना कि खान लाइमस्टोन की है। मगर सरकार ने जूनियर अधिकारियों की एक कमेटी बनाई, जिसने सरकार के इशारे पर इस खान को मार्बल की बताया। इसके पीछे वजह यह थी कि अगर लाइमस्टोन की खान बताई जाती तो केंद्र सरकार से इसकी अनुमति लेनी पड़ती है। यही नहीं नीलामी में कई बड़ी सीमेंट कंपनियां भी हिस्सा लेती जिससे सरकार के चहेते व्यक्ति को यह काम नहीं मिल पाता। सरकार के इस निर्णय से न केवल करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ बल्कि आदिवासी क्षेत्र के लोगों का हक भी मारा गया।
बजरी खनन पर भी सरकार को घेरा बजरी खनन में भी गड़बड़ियों को लेकर टीटी ने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा सरकार की गलती से महंगे दामों पर लोगों को बजरी मिल रही है। सरकार ने बजरी के ब्लॉक बड़े बनाये जबकि इन्हें छोटा बनाया जाने चाहिए थे। ताकि रेवेन्यू ज्यादा मिले और जनता को सस्ती बजरी मिले।
कांग्रेस की बी टीम के रूप में काम रहे हैं टिकैत टीटी ने किसान आंदोलन पर कहा कि राकेश टिकैत जैसे लोग कांग्रेस की बी टीम के रूप में काम कर रहे हैं और यही कारण है कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सरकार और राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार इनको संरक्षण दे रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को अब समझ में आने लगा है कि राजनीतिक मोड़ ले चुका किसान आंदोलन उन्हें कितना नफा नुकसान कराएगा, इसीलिए उन्होंने यह कहा कि पंजाब से किसानों को दिल्ली और हरियाणा में जाकर प्रदर्शन करना चाहिए। अब किसानों को यह सोचना चाहिए कि वह देश की उनके प्रति श्रद्धा को कम कराएंगे या किसान हित मे सरकार से वार्ता करेंगे। किसान आंदोलन का राजनीतिकरण हो चुका है।