कैग ने यह कहा
कैग ने 31 मार्च 2018 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए प्रदेश के पीएसयू के कार्य निष्पादन पर पेश की गई अपनी रपट में यह सिफारिश की है। कैग ने राज्य पीएसयू (ऊर्जा क्षेत्र के अलावा) के संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अनुपालन आडिट निष्कर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के प्रबंधन में खामियों को उजागर करते हैं जिनके गंभीर वित्तीय परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। उदाहरण दिया कि नियमों, दिशा निर्देशों व प्रक्रियाओं की अनदेखी के कारण यानी अनुपालन नहीं किए जाने के कारण एक मामले में 38.85 करोड़ रुपए का नुकसान विभिन्न रूप में उठाना पड़ा।’आरएसआईडीआईसी का उदाहरण
इन कमियों का उदाहरण देते हुए रपट में कहा गया है कि राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास व निवेश निगम लिमिटेड ( Rajasthan n State Industrial Development and Investment Corporation ) ने आवंटित भूखंडों पर निर्माण कार्य और उत्पादन शुरू करने में विफल रहे आवंटियों को समय रहते नोटिस तक जारी नहीं किए। निगम के स्तर पर इस तरह की कई कमियों को रेखांकित किया गया है।वित्तीय वर्ष 2012-13 की खामियां अब भी
रपट के अनुसार कैग ने 31 मार्च, 2013 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए पेश अपनी रपट में भी ऐसी ही खामियों को उजागर किया था, लेकिन वर्तमान अध्ययन में यह पाया गया कि वे कमियां आज भी जस की तस मौजूद हैं। कैग ने कहा है कि कंपनी को इसमें सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आवंटित भूखंडों पर निर्माण तय समय में पूरा हो व उत्पादन गतिविधियां भी नियत समय में चालू हो जाएं।इतने पीएसयू
कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में इस तरह के कुल 28 उपक्रमों में 22 कार्यशील कंपनियां, तीन कार्यशील सांविधिक निगम व तीन अकार्यशील पीएसयू हैं। कैग ने इन पीएसयू के खातों की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत बताई है।