भाजपा सरकार के आखिरी छह महीने के निर्णयों को लेकर केबिनेट सब कमेटी की बैठक धारीवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में हुई। इसमें गृह, कृषि, शिक्षा की फाइलें तलब की गईं। जिन फैसलों पर संदेह नजर आया, कमेटी उनकी पत्रावलियां दिखवा रही है। कमेटी ने पिछली सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं संबंधी निर्णय की फाइल भी मंगवाई है।
बैठक में खाद्य एवं आर्पूिर्त मंत्री रमेश मीणा ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता से एक दिन पहले तक कई आपराधिक मामलों में एफआर लगाकर मुकदमे वापस लेने पर सवाल खड़े किए। ऐसे प्रकरणों की फाइलें मंगवाई गईं। धारीवाल ने बताया कि पिछली सरकार के कुछ निर्णयों की समीक्षा की जरूरत है क्योंकि 5 अक्टूबर 2018 की तारीख में ढेरों निर्णय किए गए। इसके अगले ही दिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई थी।
इन पर हुई चर्चा
बैठक में गृह विभाग के 12, उद्योग विभाग के 2, कृषि विभाग के 100 से अधिक, माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग के 112, जनसम्पर्क निदेशालय के 12 प्रकरणों पर चर्चा की गई।
समीक्षा के बजाय समस्याओं का समाधान करे सरकार: पूनिया
पिछली सरकार के निर्णयों की समीक्षा को लेकर भाजपा ने पलटवार किया है। प्रदेश प्रवक्ता एवं विधायक सतीश पूनिया ने कहा कि इस समीक्षा के बजाय सरकार जन समस्याओं पर ध्यान दे। पूनिया ने कहा कि आज प्रदेश की जनता बिजली, पानी, कानून व्यवस्था की बदहाली से त्रस्त है।
वादा करने के बाद भी किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ, उलटे किसानों को खेती के लिए नया ऋण भी नहीं मिल रहा है। इससे किसानों की हालत बदतर हो रही है। सरकार जिम्मेदारी से भाग रही है। अच्छा होता मुख्यमंत्री लोगों की प्राथमिक समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रियों की कमेटी बनाते और पिछली सरकार के जनहित के फैसलों को आगे बढ़ाते। सरकार लोकसभा चुनाव में मिली हार से सबक लेने के बजाय जनता से बदला ले रही है।