शहर में बीआरटीएस कॉरिडोर की शुरुआत कांग्रेस सरकार में वर्ष 2010 में की गई थी। उस समय केन्द्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी सीकर रोड पर बने कॉरिडोर का उद्घाटन करने आए थे। उस दौरान केन्द्र और राज्य दोनों तरफ कांग्रेस सरकार ही थी। हालांकि, बाद में भाजपा सरकार में भी इस दिशा में फोकस नहीं किया गया। अब दिल्ली की तर्ज पर यहां भी इसे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
परिवहन मंत्री ने बताया कि राजधानी में वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटना में 1271 मौत हुई। इनमें से 70 फीसदी मौत बीआरटीएस कोरिडोर के कारण हुई है। ऐसे में इसे हटाया जाना जरूरी है।
इस प्रोजेक्ट का निर्माण केन्द्र सरकार फंडिंग से हुई है। ऐसे में इसे हटाने से पहले शहरी विकास मंत्रालय से अनुमति लेनी ही होगी। राज्य सरकार को हटाने की मुख्य वजह बतानी होगी। केन्द्र सरकार भी राज्य सरकार से पूछ सकती है कि कॉरिडोर के बेहतर संचालन के लिए राज्य सरकार ने क्या किया। राज्य सरकार के दावे और तर्क से संतुष्ट नहीं होने पर मंत्रालय रिकवरी निकाल सकती है। यह रिकवरी केन्द्र सरकार द्वारा दी गई फंडिंग राशि के रूप में होगी।
-7.1 किलोमीटर लम्बाई में सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक कॉरिडोर। (निर्माण लागत 75 करोड़ रुपए…संचालन शुरू वर्ष 2010)
-9 किलोमीटर लम्बाई में अजमेर रोड से किसानधर्म कांटा होते हुए न्यू सांगानेर रोड (बी-2 बायपास तिराहा) तक। (निर्माण लागत 90 करोड़ रुपए…संचालन शुरू वर्ष 2015)
13 किलोमीटर का बीच का हिस्सा (अम्बाबाडी से गवर्नमेंट हॉस्टल, अजमेर पुलिया, सोढाला होते हुए पुरानी चूंगी तक) जुड़े तो राहत मिले। इससे 29 किलोमीटर लम्बाई में एक साथ कॉरिडोर में बसें चल सकेंगी। उन्हें अन्य वाहनों के बीच चलने और जाम में फंसने से निजात मिलेगी। इसकी प्लानिंग भी हुई, लेकिन सड़क पर कॉरिडोर के लिए कम जगह का हवाला दे काम नहीं होने दिया।
-सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से एयरपोर्ट तक कॉरिडोर का दायरा बढ़ाने की प्लानिंग की गई। इसके लिए अम्बाबाड़ी-पानीपेच से एयरपोर्ट तक 18.5 किलोमीटर लम्बाई में रूट तैयार भी किया गया, लेकिन यहां कॉरिडोर के लिए डेडिकेटेड लेन ही तैयार नहीं कर पाए।
-न्यू सांगानेर रोड पर बी-2 बायपास चौराहे तक कॉरिडोर बना है। इसे एयरपोर्ट टर्मिनल 2 और सांगानेर की तरफ करीब 6.94 किलोमीटर लम्बाई में कॉरिडोर बढ़ाना था। केन्द्र सरकार ने मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन जेएनएनएयूआरम प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद ठप। इसके बाद राज्य सरकार ने रूचि नहीं ली।
-मौजूदा सांसद, विधायक, मंत्री किसी ने भी स्तर पर इसमें रूचि नहीं ली गई। बस, कुछ विशेषज्ञ इस पर चिंता जताते रहे।
जनता के लिए यूं बनी आफत..
-सीकर रोड पर बीआरटीएस कॉरिडोर बनने से अन्य वाहनों के आवागमन के लिए जगह कम बची। कई प्वांट्स पर जाम की स्थिति बनी रहती है। अतिक्रमण नहीं हटाए। कॉरिडोर के लिए जरूरी जमीन अवाप्त नहीं की।
-सड़क के एक छोर से दूसरे हिस्से की तरफ जाने के लिए लम्बी दूरी तय करनी पड़ रही। इसका साइड इफेक्ट यह रहा कि लोग रेलिंग तोड़कर बीच में से गुजर रहे। इससे दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।
-कॉरिडोर में जेसीटीएसएल की पर्याप्त बसें नहीं चलने से खाली पड़ा रहा। नौकरशाहों ने इन बसों की संख्या बढ़ाने की बजाय यहां रोडवेज, लोक परिवहन की बसों के संचालन की अनुमति ही दी। जबकि, राज्य सरकार की ही जिम्मेदारी तय गई थी कि यहां बीआरटी बसें चलाई जा सकें।
-सार्वजनिक परिवहन के सभी संसाधनों की संख्या आबादी के अनुपात में करें। शहरभर में इनके रूट निर्धारित हो, ऐसा एक भी मुख्य रास्ता नहीं बचे जहां सार्वजनिक परिवहन नहीं पहुंच पाए। इसके लिए जेसीटीएसएल बस सेवा, मेट्रो, ई-रिक्शा, मिनी बस सभी का समन्वय हो।
-सरकारी स्टडी रिपोर्ट में चिन्हित रूट पर यात्रियोें की संख्या और उसी आधार पर परिवहन सुविधा का आकलन कर काम शुरू करें।
-बीआरटीएस कॉरिडोर का दायरा बढ़े या फिर सीकर रोड व न्यू सांगानेर रोड पर बने कॉरिडोर का अन्य उपयोग हो।