पहले मना किया फिर राजी हुई कंपनी राज्य सरकार और सिविल एविएशन विभाग तीन साल से स्टेट हैंगर पर खड़े दुर्घटनाग्रस्त अगस्ता हेलीकॉप्टर को नीलामी के जरिए बेचने की कोशिशों में लगी हुई है। सिविल एविएशन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दुर्घटनाग्रस्त अगस्ता की नीलामी कीमत 12 करोड़ रुपए से ज्यादा रखी गई थी, लेकिन इसे खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। बाद में राज्य सरकार ने मेटल स्क्रेप ट्रेड कॉर्पोरेशन के माध्यम से बेचने का निर्णय लिया था।
लेकिन केंद्र सरकार की यह कंपनी अगस्ता को कबाड़ में बेचने में राजी नहीं हुई। हाल ही में केन्द्र सरकार के अधिकारियों से मुख्य सचिव के स्तर पर वार्ता हुई और अब यह कंपनी अगस्ता को कबाड़ में बेचने में राजी हो गई है। मेटल स्क्रेप ट्रेड कॉर्पोरेशन और सिविल एविएशन विभाग के अधिकारियों के बीच करार भी हो चुका है।
रखरखाव पर लाखों रुपए खर्च पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक जन सभा में ले जाते समय वर्ष 2011 में अगस्ता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। तभी से यह हेलीकॉप्टर स्टेट हैंगर पर खड़ा है और राज्य सरकार को इसके सालाना रखरखाव पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। इधर, सिविल एविएशन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जो खराबी हेलीकाप्टर में हुई थी उसे तत्काल दुरुस्त करवा दिया था। गौरतलब है कि इस अगस्ता डील को लेकर काफी समय से राज्य सरकार प्रयासरत थी, लेकिन कहीं ना कहीं किसी कारण उसे विफलता का सामना करना पड़ रहा था।