2014 में हुए परिसीमन में सरकार ने 723 नई ग्राम पंचायतें बनाई थीं। लेकिन जनवरी, 2020 तक भी इन पंचायतों में से 343 पंचायतों को अपना कार्यालय भवन नहीं मिल पाया है। यानि पिछले चुनाव में निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का पूरा कार्यकाल निकल गया,लेकिन उनको अपने नए कार्यालय की छत नसीब नहीं हुई। पंचायत राज महकमा पुरानी पंचायतों को भवन की माथापच्ची में लग रहा था कि सरकार ने फिर से नए परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर ली। पांच साल के बाद भी प्रदेश में 723 ग्राम पंचायतों में से 380 पंचायतों के कार्यालय भवन ही तैयार हो पाए हैं। यही हाल पंचायत समिति भवनों का है। पांच वर्ष पहले गठित की गई 47 पंचायत समितियों में से अब तक सिर्फ 25 के लिए ही भवन तैयार हो पाए हैं।
13 में काम ही शुरु नहीं 2014 के परिसीमन में 13 ऐसे ग्राम पंचायत भवन हैं, जिनके लिए भूमि तो मिल गई, लेकिन निर्माण कार्य ही अब तक शुरु नहीं हो पाया है। जबकि 39 स्थानों पर सरकार उपयुक्त भूमि का चयन नहीं कर पाई है। इनमें सर्वाधिक 14 मामले अलवर के हैं। जयपुर में भी चार स्थानों के लिए जेडीए और सरकार के बीच खींचतान चल रही है।
स्कूलों में निकाला कार्यकाल
प्रदेश में 14 ग्राम पंचायत कार्यालय ऐसे हैं, जो 2104 में अपने गठन के बाद से स्कूलों और अन्य सरकारी भवनों में ही संचालित हैं। इनमें उूंगरपुर, जयपुर, अलवर, बाड़मेर, धौलपुर और सिरोही जिलों की पंचायतें शामिल हैं। नए पंचायत चुनाव आ गए, लेकिन इन पंचायतों का पूरा कार्यकाल इन भवनों में ही पूरा हो गया।