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लोकसेवकों के बचाव के लिए राजस्थान सरकार का नया बिल- अब बगैर सरकारी इजाजत नहीं होगी FIR दर्ज

locationजयपुरPublished: Oct 21, 2017 10:45:54 pm

इस अध्यादेश के मुताबिक, इन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए सरकार 180 दिन में अपना निर्णय देगी।

Rajasthan Govt

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वैसे तो हमेशा ही आम जनता को सरकारी नौकरशाहों के अड़ियल रवैया के कारण मुसिबतों का सामना करना पड़ता है। लेकिन प्रदेश की सरकार इसमें और भी इजाफा करने में मूड में दिखाई दे रही है। अब राजस्थान विधानसभा में सोमवार को प्रदेश की सरकार एक एक बिल पेश करने जा रही है, जिसके बाद सांसद, विधायक, जज और अफसरों के खिलाफ जांच करना तो मुश्किल होगा ही, साथ ही ये बिल इनके लिए एक रक्षा कवच की तरह काम करेगी। तो वहीं इन लोगों पर पर शिकायत दर्ज कराना आसान नहीं होगा।
मिली जानकारी के मुताबिक, राजस्थान सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया है, जिसके बाद से लोकसेवक, जज या फिर मजिस्ट्रेट के खिलाफ पुलिस या कोर्ट में शिकायत दर्ज करने से पहले सरकार से इजाजत लेनी पड़ेगी। जबकि अपने कार्यकाल के दौरान अगर लोकसेवक हो या जज किसी भी निर्णय के लिए जांच के दायरे से बाहर होगा। केवल कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर 197 को छोड़कर। साथ ही अब इन पर पुलिस भी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकेगी।
जानकारी के अनुसार इस अध्यादेश के मुताबिक, इन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए सरकार 180 दिन में अपना निर्णय देगी। तो वहीं इसके बाद भी अगर संबंधित अधिकारी या लोकसेवक के खिलाफ कोई निर्णय नहीं आता है, तो अदालत के जरिए इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई जा सकेगी। यानि कि संबंधित अधिकारी को अपना बचाव करने लिए इस नए बिल के मुताबिक 180 दिन का समय मिलेगा।
तो इस नए बिल को मीडिया जगत के लिए भी डराने वाला माना जा रहा है, जहां इस बिल के मसौदे की मानें तो प्रदेश सरकार की इजाजत के बिना अगर संबंधित अधिकारी या फिर किसी लोकसेवक का नाम किसी भी मीडिया रिपोर्टस में आता है, तो उसके खिलाफ कार्यवाई हो सकती है। जहां ऐसे मामले में कम से कम 2 साल की सजा का प्रावधान है। मतलब कि सरकार की सरकार की अनुमति मिलने के बाद ही आरोपी अधिकारी का नाम सामने आ सकता है।
गौरतलब है कि 23 अक्टूबर से राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरु हो रहा है, ऐसे में इस तरह के बिल को पेश करने को लेकर प्रदेश की सीएम पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं अध्यादेश में लिखा है कि वर्तमान में विधानसभा सत्र की कार्यवाई नहीं चल रही है, ऐसे में इस अध्यादेश को लाना जरुरी है। तो वहीं सत्र के दौरान इन नए बिल पर कानून बनाने के लिए पेश किया जाएगा। तो वहीं इस मामले पर राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि साफ छवि के अधिकारियों को बचाने के लिए इन अध्यादेश को लाया गया है। क्योंकि ईमानदार अधिकारी काम के वक्त डरते थें कि कोई उन्हें किसी केस में ना फंसा दे।
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