इसी नवाचार को कक्षा तीन से पांचवीं तक लागू करने के लिए एमएचआरडी ने फंड दे रखा है। कक्षा एक व दो के लिए स्कूलों में एबीएल कक्ष भी बनाए गए हैं। इसे लागू करने वाला राजस्थान देश में तीसरा प्रदेश है।
कागजों में सिमटकर रह गई एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग (एबीएल) कागजों में सिमटकर रह गई है। आलम यह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की ओर से पिछले साल बजट स्वीकृत होने के बाद भी इसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया है।
एबीएल को कक्षा एक से दो तक के सफल प्रयोग के बाद तीसरी से पांचवीं तक लिए लागू किया जाना था, अभी तक यह महज बैठकों तक ही सीमित है। अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होने में अभी और समय लगेगा।
क्या होता है एबीएल एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग स्कूली शिक्षा में नवाचार है। इसके तहत बच्चों को हिंदी, पर्यावरण, अंग्रेजी और गणित जैसे विषयों को रोचक तरीके से पढ़ाया जाता है। राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद ने कक्षा एक व दो के लिए विशेष एबीएल किट बनाकर बांटी गई थीं। इसमें फ्लैशकार्ड, एक्टिविटी कार्ड, कार्य पत्रक तथा चक्री पजल शामिल है। किट में विभिन्न प्रकार से सीखने व पढऩे से जुड़ी एक दर्जन गतिविधियों को भी शामिल किया गया था।
37 हजार से ज्यादा स्कूलों में होगा लागू जानकारी के अनुसार, एचआरडी ने इसके लिए 18.57 करोड़ का बजट स्वीकृत किया है। इसके तहत 10 हजार रुपए प्रति स्कूल वॉल पेंटिंग संबंधी कार्यों के लिए दिए जाने हैं। साथ ही पांच हजार रुपए प्रति स्कूल किट का भी वितरण किया जाएगा। कक्षा तीन से पांचवीं तक के 37 हजार 578 स्कूलों में इसे लागू किया जाएगा, लेकिन इसमें ऐसे स्कूल शामिल होंगे, जो आंगनबाड़ी इंटीग्रेटेड हैं या आंगनबाड़ी की 500 मीटर की परिधि में आते हों।
एबीएल में कुछ प्रस्ताव रखकर फाइल सचिव स्तर को भेज दी है। अभी अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। अप्रूवल आते ही इसी महीने इस पर काम शुरू हो जाएगा। बजट को लैप्स नहीं होने देंगे।
अभिषेक भगोतिया, स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर