मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने कुलदीपसिंह मीणा की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में कहा कि परिवारजनों की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण लड़के-लड़कियां विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत विवाह करते हैं। वयस्क जोड़े की ओर से इसके लिए विवाह अधिकारी के समक्ष आवेदन किया जाता है।
वहीं विवाह अधिकारी संबंधित थानाधिकारी के जरिए लड़के और लड़की के निवास पर नोटिस भेज देते हैं। इससे परिवार को उनके विवाह करने की जानकारी हो जाती है और अंतत: उनका विवाह मुश्किल में पड़ जाता है। ऐसे में विवाह अधिकारियों की इस कार्रवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए।
इसका विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया ने कहा कि युगल के घर नोटिस भेजने का मकसद उनके परिवार को विवाह की जानकारी देना नहीं है, बल्कि विवाह कराने से पहले यह जानना जरूरी है कि दोनों में से कोई पहले से विवाहित तो नहीं है और फ र्जी दस्तावेज तो पेश नहीं किए गए हैं।
जानें क्या है विशेष विवाह अधिनियम,1954 के प्रावधान
अधिनियम के अंतर्गत किसी भी धर्म को मानने वाले लड़का और लड़की विधिवत विवाह कर सकते हैं। ऐसा विवाह क़ानूनी रूप से मान्य होता है। इस विवाह को भारत के साथ-साथ विदेशों में भी मान्यता दी जाती है। इस प्रकार के विवाह को संपन्न कराने के लिए प्रत्येक जिले में विवाह अधिकारी को नियुक्त किया गया है।
अधिनियम के अंतर्गत किसी भी धर्म को मानने वाले लड़का और लड़की विधिवत विवाह कर सकते हैं। ऐसा विवाह क़ानूनी रूप से मान्य होता है। इस विवाह को भारत के साथ-साथ विदेशों में भी मान्यता दी जाती है। इस प्रकार के विवाह को संपन्न कराने के लिए प्रत्येक जिले में विवाह अधिकारी को नियुक्त किया गया है।
21 वर्ष की आयु पूरी कर चुका कोई भी लड़का तथा 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी कोई भी लड़की जो इस कानून के तहत विवाह करना चाहते हैं, निर्धारित प्रारूप में एक प्रार्थना-पत्र, शपथ-पत्र एवं आयु और निवास के प्रमाण सहित निर्धारित शुल्क अदा करते हुए जिला विवाह अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं।
अभी तक के प्रावधान में विवाह अधिकारी इस आवेदन को प्राप्त करने के बाद तीस दिन का समय देते हुए उस विवाह के सम्बन्ध में आपत्ति की अपेक्षा करते हुए नोटिस जारी किया जाता है। यदि तीस दिन के अन्दर उस विवाह के खिलाफ कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती है तो विवाह अधिकारी संतुष्ट होने के उपरांत विवाह संपन्न कराते हैं।
विवाह की इस प्रक्रिया के समय विवाह के दोनों पक्षकारों और तीन गवाहों के हस्ताक्षर कराये जाते हैं और विवाह प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जाता है। इस विवाह की विधिक मान्यता के लिए यह भी आवश्यक है कि लड़का और लड़की पागल या जड़ न हों तथा उनकी पहले से कोई जीवित पत्नी या पति न हो।