मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग व न्यायाधीश जी आर मूलचंदानी की खण्डपीठ ने इस मामले में जयपुर नगर निगम की 6 साल पुरानी अपील को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 10 मई 2012 को मानसरोवर में मकानों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों की जानकारी मांगी थी और 18 जुलाई 2012 को इन व्यावसायिक गतिविधियों पर कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। नगर निगम ने इन आदेशों के खिलाफ ही अपील की थी।
एक दुकान पर कार्रवाई से हुआ बवाल
नगर निगम ने 2011 में हाईकोर्ट के मकानों में व्यावसायिक गतिविधियों रोकने के आदेश का हवाला देकर मानसरोवर के थडी मार्केट निवासी मनोहर लाल भारद्वाज को मकान में दुकान चलाने पर नोटिस दिया था। दुकान सील होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मानसरोवर में मकानों में व्यावसायिक गतिविधि बंद कराने का आदेश दिया और पालना रिपोर्ट भी तलब की। इसी दौरान सामने आया कि मानसरोवर में मकानों में 170 दुकान या शोरूम आदि चल रहे हैं।
नगर निगम ने 2011 में हाईकोर्ट के मकानों में व्यावसायिक गतिविधियों रोकने के आदेश का हवाला देकर मानसरोवर के थडी मार्केट निवासी मनोहर लाल भारद्वाज को मकान में दुकान चलाने पर नोटिस दिया था। दुकान सील होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मानसरोवर में मकानों में व्यावसायिक गतिविधि बंद कराने का आदेश दिया और पालना रिपोर्ट भी तलब की। इसी दौरान सामने आया कि मानसरोवर में मकानों में 170 दुकान या शोरूम आदि चल रहे हैं।
फंसने पर दे दी दुकान चलाने की अनुमति
जब मकानों में दुकान के मामले में नगर निगम हाईकोर्ट में उलझ गया तो निगम ने भारद्वाज को भी मकान में व्यावसायिक गतिविधि चलाने की अनुमति दे दी। भारद्वाज को अनुमति मिलने पर हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने एक बार तो 2013 में ही नगर निगम की अपील सारहीन मानते हुए खारिज कर दी थी। इससे एकलपीठ का आदेश बहाल होने पर नगर निगम ने खण्डपीठ में प्रार्थना पत्र पेश किया और अपील खारिज होने का आदेश वापस लेने का आग्रह किया। इस पर हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने पुन: सुनवाई शुरु की और अब पुन: अपील खारिज होने का आदेश दिया है।
जब मकानों में दुकान के मामले में नगर निगम हाईकोर्ट में उलझ गया तो निगम ने भारद्वाज को भी मकान में व्यावसायिक गतिविधि चलाने की अनुमति दे दी। भारद्वाज को अनुमति मिलने पर हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने एक बार तो 2013 में ही नगर निगम की अपील सारहीन मानते हुए खारिज कर दी थी। इससे एकलपीठ का आदेश बहाल होने पर नगर निगम ने खण्डपीठ में प्रार्थना पत्र पेश किया और अपील खारिज होने का आदेश वापस लेने का आग्रह किया। इस पर हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने पुन: सुनवाई शुरु की और अब पुन: अपील खारिज होने का आदेश दिया है।