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राजस्थान के तस्कर सरकार से दो कदम आगे, मुखबीरों तक को खरीदा- अब बेख़ौफ़ कर रहे ये गंदा काम

locationजयपुरPublished: Dec 10, 2017 08:39:34 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

इन्डेप्थ स्टोरी: नाम की चौकसी… तस्कर दे रहे चालकों को बोनस ऑफर, मुखबिरों को भी खरीदा, लग्जरी गाडि़यों में गुजरात पहुंच रही करोड़ों की अवैध शराब

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मोहम्मद इलियास/ उदयपुर।

राजस्थान व गुजरात की सीमा पर चौकसी के सरकारी दावों के बीच तस्कर प्रतिदिन हरियाणा निर्मित अंग्रेजी शराब की खेप बॉर्डर पार करवा रहे हैं। शराब की ये ट्रक बॉर्डर से सटे राजस्थान के आसपास के गांवों में खाली हो रही हैं और यहां से लग्जरी गाडिय़ों में भरकर सशस्त्र लठैतों के माध्यम से बॉर्डर पार करवाई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन 15 से 20 ट्रक बॉर्डर पार हो रहे हैं और गुजरात के लगभग सभी जिलों में इसकी खेप पहुंचाई जा चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक चुनाव के मद्देनजर गुजरात में शराब की काफी मांग होने से हरियाणा से बड़ी संख्या में शराब लदे ट्रक राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र के आसपास के गांवों में खाली हुए। राज्य के सीमावर्ती गांवों से गुजरात बॉर्डर तक के ‘डेन्जर जोन’ के लिए तस्करों ने चालकों को बीस हजार रुपए बोनस ऑफर देना शुरू किया है। इसके लिए चालक बिछीवाड़ा या माउन्टआबू इकबालगढ़ बॉर्डर से गाड़ी पार करवा रहे हैं। चालकों ने इसके लिए बाकायदा दलालों के माध्यम से एक ही गाड़ी के अलग-अलग राज्यों के दो से तीन फर्जी कागजात बनवा लिए हैं। इन कागजातों से चालक हर सौ किलोमीटर या बॉर्डर पर पुलिस को गुमराह करने के लिए ट्रक की नम्बर प्लेट बदल देते हैं। पूर्व पूर्व में पकड़ में आई गाडिय़ों में पुलिस को फर्जी नम्बर प्लेटें भी मिली थी।
तस्करों ने पहुंचाई दुगुनी मुखबिरी
राज्य सरकार का आबकारी महकमा प्रति ट्रक शराब पकड़वाने पर 50 से 80 हजार रुपए की मुखबिरी देता है। जबकि पुलिस विभाग इस राशि को स्वयं रखने के लिए मुखबिरों को पकड़ में आई शराब के 50 से 60 कर्टन मुहैया कराता है। यह कर्टन बाद में लाइसेंस की दुकानों तक पहुंचते हैं जो राज्य निर्मित शराब के साथ मिलीभगत से धड़ल्ले से बिक जाते हैं। इसमें जहां राजस्व को घाटा होता है वहीं मुखबिर मालामाल हो जाते हैं।
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तस्करों ने सरकार व पुलिस की इस मुखबिरी योजना को पकड़ते हुए शराब बॉर्डर पार पहुंचाने के लिए मुखबिरों को ही खरीद लिया। वे मुखबिरों को दुगुनी कीमत दे रहे हैं तो थाना, चौकी व बॉर्डर पार करवाने के लिए कई तरह के हथकंडे भी अपना रहे हैं।
फंसे तो आदिवासी
जिले के खेरवाड़ा के 13 और गुजरात बॉर्डर से 12 किमी दूर डबायचा व इसके आसपास के फला वाव, खडकाया, हगतफला में रहने वाले गरीब आदिवासियों ने अपने झोंपड़ों को बड़े तस्करों को दो से तीन हजार रुपए में किराए दे रखा है। आदिवासी अपने मकान को छोड़ अन्यत्र अपने नए ठिकानों पर रह रहे हैं। इन झोंपड़ों में तस्करों ने भारी मात्रा में हरियाणा निर्मित शराब के ट्रक खाली करवा रखे हैं। यदि यहां माल पकड़ा जाए तो आदिवासी आरोपी की सूची में शामिल हो जाते हैं। पूर्व में भी कई मामलों में आदिवासी लोग इसमें फंस चुके हैं।
तस्करी के लिए दौड़ रही लग्जरी गाडिय़ां
राजस्थान-गुजरात बॉर्डर से सटे गांवों में राज्य सरकार परिवहन के साधन भले ही ना पहुंचा पाई हो लेकिन वहां तस्करों की महंगी लग्जरी गाडिय़ां रोज फर्राटे भर रही है। तस्करी की शराब लाने-ले-जाने के काम आ रही गाडिय़ां ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। इन गाडिय़ों से डबायचा व उसके आसपास के फलों की झोपडिय़ों व ढाणियों में करोड़ों रुपए की हरियाणा निर्मित अंग्रेजी शराब का स्टॉक कर रखा है। जिनकी चौकसी के लिए हथियारबंद लठैत तैनात किए हुए हैं।
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अवैध शराब का लेखा-जोखा
– आबकारी व पुलिस ने पिछले डेढ़ वर्ष में पकड़ी करीब 6 करोड़ की शराब
– डेढ़ माह से पकड़ में आया महज 1 ट्रक
– वर्तमान में प्रतिदिन बॉर्डर पार हो रहे 15-20 ट्रक माल
– कहां-कहां से आ रहा माल : हरियाणा, एमपी, गोवा, अरुणाचल प्रदेश
हां, गुजरात जा रही है शराब
गुजरात शराब जा रही है, यह सच है। यहां नियुक्ति के बाद जानकारी मिलने पर बॉर्डर व अन्य जगह सख्ती की तो तस्करों ने आसपास के गोदामों में शराब को डम्प कर लिया। अधिकांश माल बॉर्डर के 15 किमी. क्षेत्र में ही था। जैसे ही निकालने का प्रयास किया उन्हें पकड़ लिया गया। मामलों में नामचीन तस्करों के साथ ही किराए पर गोदाम देने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करवाई गई है। लोग भी जागरूक हुए हैं, बड़ी कार्रवाई के बाद उन्होंने और सूचना दी तो एक ट्रक व कुछ और शराब गोदाम में पकड़ी है। यह कार्रवाई निरंतर जारी है।
-शंकरदत्त शर्मा, डूंगरपुर पुलिस अधीक्षक

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